अक्सर आप लोग मौसम से जुड़ी खबरें पढ़ते या सुनते समय येलो, ऑरेंज और रेड अलर्ट का ज्रिक हुआ होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन्हें क्यों और किस स्थिति में जारी किया जाता है. अगर आप नहीं जानतें हैं, तो आज हम आपको इस लेख द्वारा येलो, ऑरेंज और रेड अलर्ट के बारे में विस्तार से बताएंगे. जिससे आप के इलाकों में यह अलर्ट जारी होने पर पहले से ही आपको सब पता चल जाए. तो आइए सबसे पहले येलो अलर्ट (Yellow Alert) के बारे में जान लेते हैं...
येलो अलर्ट (Yellow Alert)
येलो अलर्ट में मौसम विभाग के द्वारा हल्की बारिश होने की संभावना जताई जाती है. सीधे और सरल भाषा में कहें, तो येलो अलर्ट खतरे के प्रति सचेत और सावधानी बरतें. मौसम के अनुसार यह अलर्ट जस्ट वॉच का सिग्नल (Alert Just Watch Signal) माना जाता है. मौसम में बदलाव होने पर इसे जारी किया जाता है.
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ऑरेंज अलर्ट (Orange Alert)
ऑरेंज अलर्ट को ऐसी स्थिति में जारी किया जाता है जब खतरा बेहद नजदीक होता है. मौसम विभाग के अनुसार ऐसी स्थित तब जारी कि जाती है, जब इलाकों में येलो अलर्ट जारी होने के बाद खतरा और बढ़ जाता है, तो उसके बाद इलाकों में ऑरेंज अलर्ट को जारी किया जाता है. सरल भाषा में ऑरेंज अलर्ट का मतलब खतरा होने पर लोगों को सतर्क रहने के लिए किया जाता है. यह भी कहा जाता है कि ऑरेंज अलर्ट तब जारी किया जाता है, जब मध्यम से भारी बारिश होने की चेतावनी हो.
रेड अलर्ट (Red Alert)
रेड अलर्ट यह अपने नाम के जैसे ही काम करता है. बता दें कि रेड अलर्ट को तब जारी किया जाता है, जब लोगों को खतरनाक स्थिति और जान-माल जैसी स्थिति का सामना करने का वक्त हो. मौसम विभाग में ऐसी स्थिति को जारी ऐसे समय में होती है, जब मौसम अपने बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और आने वाले समय में इसे बहुत नुकसान होने वाला हो.
ज्यादातर यह देखा गया है कि रेड अलर्ट जारी होने के बाद खतरे के जोन में रहने वाले लोगों को सुरक्षित किसी और स्थान पर पहुंचाया जाता है.
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