हर जीवधारी को शरीर के विकास और उसके क्रियाशील बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी होता है - भोजन. भोजन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है. इस ऊर्जा के द्वारा शरीर की सब गतिविधियां चलती रहती है. इंसान ही नहीं भोजन प्रत्येक प्राणी की मौलिक आवश्यकता है. मानव भोजन में प्राय अनाज दालें तथा सब्जियां मुख्य रहती हैं. धनाढ्य वर्ग के भोजन में फल, मेवा और पौष्टिक तत्वों की प्रचुरता रहती है. लेकिन गरीब और सामान्य जन को अन्य और दालों से ही पौष्टिक पदार्थों की पूर्ति करनी होती है.
अक्सर देखा यह जाता है कि पौष्टिक सामग्री जताने के बावजूद ना समझी के कारण या नजाकत अथवा फैशन के चलते, भोजन पकाने की गलत विधियों के कारण उनकी पौष्टिकता बहुत नष्ट कर बैठते हैं.
आटा
सर्वप्रथम यह ध्यान देना अति आवश्यक है की आटा बहुत महीन बारीक न पिसाई करें इससे कुछ हद तक उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और पाचन में दिक्कत आती है. आटे को कभी भी छानना नहीं चाहिए, क्योंकि चोकर में वे सब विटामिन वह खनिज लवण होते हैं, जो हमारे मस्तिष्क, रुधिर एवं हृदय के लिए अति आवश्यक है. चोकर के कारण पेट में कब्ज की शिकायत नहीं रहती है और पाचन ठीक प्रकार से होता है. किसी कारण से यदि चोकर को अलग करना ही पड़े तो उस चाकर को 8 या 10 घंटे स्वच्छ पानी में भिगो दें और बाद में इस पानी में चोकर को खूब रगड़े. इससे चोकर में विद्यमान खनिज लवण एवं विटामिन पानी में घुल मिल जाते हैं. अब विटामिन लवण युक्त इस दूधिया पानी को आटा गूंथ ने में इस्तेमाल किया जा सकता है इसके अलावा इस पानी को दाल, सब्जी, कढ़ी और सांभर आदि में इस्तेमाल करके इन पोषक तत्वों का उपयोग किया जा सकता है.
चावल
अधिकांश लोगों का मुख्य भोजन चावल है, उन्हें इन बातों को अपने व्यवहार में शामिल कर लेना चाहिए कि चावल पकाने से पहले केवल एक बार धोएं, क्योंकि इन्हें बार-बार और रगड़कर धोने से उनकी ऊपरी परत में पाए जाने वाले पोषक तत्व पानी में घोलकर बेकार ही बह जाते हैं. यह उपयोगी तत्व शरीर को शक्ति देते हैं, फेफड़े, हृदय, आंत, अमाशय, यकृत और गुर्दे को समुचित रूप से ऊर्जा प्रदान करते हैं. इसके अलावा यह शरीर को स्वस्थ एवं रोगों से मुक्त रखने की मदद करते हैं. किसी कारणवश चावलों को कुछ समय तक भिगोना आवश्यक ही हो तो भिगोकर न धोएं, बल्कि पहले धोएं और फिर भिगोऐं तथा उसे भिगोए गए पानी को चावलों को पकाने में उपयोग में लाएं. सबसे ध्यान देने योग्य बात यह है कि चावल का मांड़ यानी पावन न निकालें. यदि निकालना ही पड़े तो उसे आटा गूंथने में दाल या सब्जी में उपयोग में ला सकते हैं. क्योंकि मांड़ में चावल के अधिकांश पोषक तत्व निकल जाते हैं, जो शरीर के लिए बहुमूल्य होते हैं.
दालें
दालें प्रोटीन तथा विटामिनों का भंडार होती है. हमेशा छिलका वाली दलों का प्रयोग करें. छिलके कदापि अलग न करें, क्योंकि छिलकों में पाए गए जाने वाले विटामिन, खनिज लवण त्वचा, आंखों, मस्तिष्क तथा रुधिर के लिए अति आवश्यक होते हैं. संभव हो तो दलों को अंकुरित करके उपयोग में लाएं. ऐसा करने से उनकी पौष्टिकता में वृद्धि होती है और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में मिलती है जो मसूड़े के रोगों में दूर रखने में बड़ी सहायक है. दलों को शीघ्र गलाने के लिए खाने वाला सोडा़ कदापि न डालें. ऐसा करने से दाल में विद्यमान विटामिन बी की काफी मात्रा में नष्ट हो जाता है. स्नायु तंत्र तथा मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए उत्तरदाई होता है. दाल जब पकाए तो गरम खौलते पानी में ही डालें. ठंडा पानी में पकने में समय अधिक लगता है, इसको देर तक पकने में उनकी काफी विटामिन नष्ट हो जाते हैं.
यदि आप दाल को भिगोकर पकाना चाहते हैं तो इस पानी में दाल को पकाएं. ऐसा करने से सारे पोषक तत्व शरीर को भरपूर मात्रा में मिल जाते हैं, जो हड्डियों व दांतों का निर्माण में टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत तथा शरीर के विकास का महत्वपूर्ण कार्य संपन्न करते हैं. सबसे उत्तम तरीका तो यह है की दाल प्रेशर कुकर में पकाएं. इससे भोजन जल्दी तथा स्वादिष्ट बनता है और पोषक तत्व भी नष्ट नहीं होते.
सब्जियां पत्तों वाली
पत्ते वाली साग सब्जियां विटामिन से भरपूर होती है. इन सब्जियों को ताजा-ताजा ही बना लेना चाहिए. काटने से पूर्व इन्हें स्वच्छ पानी में अच्छी तरह से धो लेना चाहिए, क्योंकि काटने के बाद धोने से उनमें विद्यमान पोषक तत्व अधिकांश मात्रा में पानी के साथ मिलकर बह जाते हैं. यह बहुमूल्य तत्व दांतों, अस्थियों रूधिर की स्वस्थता, स्नायु तंत्र और मांस-पेशियों के कार्य में सहायता करते है. कभी भी सब्जियां काट कर न रखें, काटने के बाद तुरंत पकाएं. इन सब्जियों को पकाते समय उनमें पानी न डालें, बल्कि पानी के छींटें देकर या मंद मंद आग पर ढक कर भाप से पकाएं. ढक कर पकाने से उनका स्वाद एवं रंग बरकरार रहता है, बल्कि पोषक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं. सब्जियों को अधिक देर तक भूनते नहीं रहना चाहिए, बल्कि पकाते ही आग पर से उतार लेना चाहिए. पकाई गई सब्जी को ताजा-ताजा यानी बनाने या तैयार होने के तुरंत बाद खा लेना चाहिए. फ्रीजर में रखकर और फिर बार-बार गर्म करने से कुछ और पोषक तत्व पुन: नष्ट हो जाते हैं. प्याज, शलजम, गांठ गोभी भी तथा गाजर की पत्तियों को भी प्रयोग में भी लाना चाहिए. इनमें बहुमूल्य पोषक तत्वों का भंडार है, जो स्नायु तंत्र तथा हृदय संबंधी बीमारियों से रक्षा करते हैं और पाचन शक्ति को मजबूत बनाते हैं.
अन्य सब्जियां
आलू, घुइयां,बंडा और बैगन टमाटर करेला चुकंदर मूली लौकी तरोई से इत्यादि सब्जियों को छीलने और काटने से पहले साफ़ पानी में अच्छी तरह से धो लें. यदि काटने के बाद उन्हें धोएंगे तो कटे भागों से आवश्यक पोषक तत्व पदार्थ पानी के साथ घुल कर बेकार चले जाएंगे. आलू, घुइयां, बंडा तथा कंद वाली उन सब्जियों के टुकड़े से बहुत सा स्टार्च पदार्थ पानी से साथ बहकर नष्ट हो जाते हैं. इन सब्जियों को बनाते समय या हल्का-हल्का खुरच लें या फिर हल्का उबाल देकर छिलका उतार लें. इन सब्जियों को छीलने से छिलके के नीचे विद्यमान अनेक पोषक तत्व बेकार चले जाते हैं. यह बहुमूल्य पोषक तत्व आंखों, दांतों तथा विभिन्न ग्रंथियां को स्वस्थ तथा निरोग रखते हैं. हड्डियों तथा पेशियां का निर्माण करके शरीर को शक्ति एवं स्फूर्ति प्रदान करते हैं. इसके अलावा बाहर के रोगों से संघर्ष करने प्रतिरोधक की क्षमता बढ़ाते हैं.
इस प्रकार यह बातें हैं तो बहुत छोटी-छोटी, लेकिन उनके फायदे बहुत बड़े हैं. हमें अपनी आदत में थोड़ा सा बदलाव लाने की जरूरत है, उपरोक्त बातों को दैनिक व्यवहार में शामिल करने की जरूरत है. थोड़ी सी सावधानी बरतने पर हमें इतनी बड़ी मात्रा में पोषक तत्वों से वंचित न होना पड़ेगा.
लेखक
रबीन्द्रनाथ चौबे, ब्यूरो चीफ
कृषि जागरण, बलिया उत्तरप्रदेश
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