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Chhath Puja 2024: ये है छठ पूजा का क्रम, इस महापर्व के दिन करें ये काम

Chhath Puja: इस वर्ष छठ की शुरूआत 5 नवंबर से लेकर 7 नवंबर, 2024 को इस पर्व का समापन होगा. छठ महापर्व कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. ऐसे में आइए यहां जानते हैं कि इस महापर्व के दिन क्या करना चाहिए.

लोकेश निरवाल
छठ पूजा (Image Source: PTI)
छठ पूजा (Image Source: PTI)

छठ पूजा भारत के विभिन्न राज्यों समेत नेपाल के भी कई क्षेत्रों में मनाया जाने वाला एक महापर्व है. भक्तों के द्वारा छठ पूजा में भगवान सूर्य देव की उपासना की जाती है, जिसे "सूर्य षष्ठी" या "छठ पर्व" कहा जाता है. इस दौरान जो भक्त छठ का व्रत करते हैं, वह अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए सूर्य देवता और उनकी बहन छठी मैया से प्रार्थना करते हैं. इस साल छठ की शुरूआत 5 नवंबर यानी आज से शुरू हो गई है और 7 नवंबर को इस पर्व का समापन होगा. छठ महापर्व कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है.

बता दें कि छठ में 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने की भी परंपरा है. यह व्रत संतान के लिए रखा जाता है. छठ पूजा के दिन षष्ठी मैया व सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसे में आइए आज के इस आर्टिकल में जानते हैं कि छठ पूजा का क्रम क्या है और भक्तों को इस दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

ये है छठ पूजा का क्रम

नहाय-खाय (पहला दिन)

पहले दिन यानि नहाय-खाय से छठ पूजा की शुरूआत होती है. नहाय खाय के दिन व्रत रखने से पहले बस एक ही बार खाना होता है. उसके बाद नदी में स्नान करना होता हैं. इस बार नहाय-खाय 28 अक्टूबर को है.

खरना (दूसरा दिन)

छठ महापर्व के दूसरे दिन को खरना नाम से जाना जाता है. खरना के दिन सूरज निकलने/Sunrise से लेकर सूरज डूबने/Sunset तक महिलाएं व्रत रखती हैं. सूर्यास्त के तुरंत बाद व्रत तोड़ा जाता है फिर पकवान बनाया जाता है. भोजन तैयार होने के बाद सूर्य को भोग लगाया जाता है. छठ पर्व का तीसरा दिन दूसरे दिन के प्रसाद के बाद ही शुरू हो जाता है. खरना यानि दूसरा दिन 5 नवंबर को है.

अर्घ्य (तीसरा दिन)

तीसरे दिन यानि अर्घ्य के दिन को छठ पूजा में सबसे अहम माना जाता है. इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बांस के सूप को चावल के लड्डू, फल, ठेकुआ वग़ैरह से सजाया जाता है. व्रती सपरिवार सूर्व भगवान को अर्घ्य देता है. इस दिन डूबते हुए सूरज की अराधना होती है.  सूर्यदेव को अर्घ्य देने की परम्परा सदियों से चली आ रही है. पहला अर्घ्य इस बार 6 नवंबर को है.

उषा अर्घ्य (चौथा दिन)

36 घंटे व्रत के बाद यह अर्घ्य उगते हुए सूरज को दिया जाता है. उषा अर्घ्य 7 नवंबर को छठ के अंतिम दिन होता है. ये छठ का आख़िरी दिन है. इस दिन सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 31 मिनट तक होगा.

छठ के दिन करें ये काम

  • संतान की प्राप्ति के इच्छुक लोगों को इस दिन 108 बार “ऊँ, ह्रां, ह्रीं, ह्रौं, स: सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए.
  • संतान की ख़ुशी और समृद्धि के लिए सूरज को अर्घ्य देना चाहिए साथ ही गुड़ और गेहूं के आटे से बने व्यंजन पशु-पक्षियों को खिलाना चाहिए.
  • नौकरी या घर में पैसे की तंगी से परेशान लोगों को “ऊँ घृणि: सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए.

नेपाल में भी रहती है छठ की धूम

छठ का महापर्व बिहार, पूर्वी उत्तर-प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड के साथ नेपाल (Nepal) राष्ट्र में भी धूमधाम से मनाया जाता है. नेपाल के तराई क्षेत्रों में हर्षोल्लास के साथ श्रद्धालु यह त्योहार मनाते हैं. नेपाल के क़रीब 12 जनपदों में सूर्य उपासना का यह पर्व प्रमुखता के साथ मनाया जाता है.  नेपाल में छठ मनाने का तरीक़ा भारतीय परम्पराओं के ही जैसा है.

English Summary: sequence of chhath puja Bihar Festival Published on: 05 November 2024, 12:44 PM IST

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