फसलों में लगने वाले फॉल आर्मीवॉल कीट से बचाव के लिए एक प्रोजेक्ट को लांच किया गया है। दरअसल एसबीएसी ने एक प्रोजेक्ट को लांच किया है जो एक तरह से गैर लाभकारी कृषि संगठन है. उसने खेती और किसानों के लिए बहुवर्षीय योजना को शुरू किया है। इस परियोजना को ‘एफएम सी इंडिया’ मुंबई का पूरी तरह से समर्थन प्राप्त है। यह सभी हितधारकों के साथ मिलकर पूरी तरह से कार्य करेगी और भारत में फॉल वॉल आर्मी को रोकने की दिशा में विशेष रूप से इस सफल परियोजना का लक्ष्य तकनीकों, कृषि पद्धतियों और सारे नियंत्रण उपायों के साथ विभिन्न हितधारकों के लिए शैक्षिक साम्रगी के साथ नियंत्रण उपायो को विकसित करने का कार्य किया है।
अमेरिकन कीड़ा
अगर हम फॉल आर्मीवाल कीट के बारे में बात करें तो यह अमेरिकन मूल प्रजाति का कीट है। यह पूरी दुनिया में आक्रमक रूप से तेजी से फैलता जा रहा है। इसके रिसर्च काफी गहरी है और इसको 2016 में की गई रिसर्च के मुताबिक सबसे पहले अफ्रीका में पाया गया था और बाद में अगस्त में 2018 के दौरान कर्नाटक राज्य में मक्के की फसल के ऊपर इस कीट को देखा गया था। इसने मक्के की फसल को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाने का कार्य किया था। पिछले दो सत्रों में खरीफ और रबी फसलों में फॉलआर्मीवॉल फसलों के लिए काफी बड़ा खतरा बन चुका है। इसकी उपस्थित अगर मक्के पर हो तो सबसे ज्यादा इस फसल को काफी नुकसान पहुंचता है।
बेहद घातक कीड़ा
फॉलआर्मी वॉल एक ऐसा कीट होता है जो कि फसलों के उगने पर शुरूआती चरण में ही हमला कर देता है और फसलों को नुकसान पहुंचाता है। यह मुख्य रूप से सामान्य व स्थानीय फसलों पर सबसे ज्यादा आक्रमण करता है। यह गन्ना, स्वीट कॉर्न, मक्का और ज्वार के साथ अन्य फसलों को भी सीधे आक्रमण करता है। देश में तमिलानाडु, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, और पश्चिम बंगाल में इस कीट के होने की सूचना मिली है।
किसानों की आमदनी होती प्रभावित
इस तरह के कीट से आक्रमण होने से फसल खराब हो जाती है और फसल की उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। उत्पादकता में कमी आ जाने से किसानों की आमदनी पर असर पड़ता है। इसीलिए यह कीड़ा भारतीय किसानों के लिए और उनकी खेत के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इसीलिए इस कीड़ें से निपटने के लिए कई तरह के उपाय खोजे जा रहे है।
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