रमजान (Ramadan) का पाक महीना कल से शुरू होने जा रहा है, जोकि जून माह तक चलेगा. रमजान का महीना आज से ही शुरू होने वाला था लेकिन कल रमजान उल मुबारक का चांद नहीं दिखा. जिस वजह से रमजान का पहला रोजा अब 7 मई यानी मंगलवार के दिन रखा जाएगा. जबकि इसकी तरावीह की नमाज 6 मई (सोमवार )से पढ़ी जाएगी. इस बार के रोजा के बाद ईद कब है उसकी तारीख चांद देखने के बाद ही पता चलेगी.30 दिनों के रोज़ों के बाद शव्वाल की 1 तारीख को ईद-उल-फितर (Eid al-Fitr) मनाया जाएगा. ईद-उल-फितर को मीठी ईद (Mithi Eid) के नाम से भी जाना जाता है.
कैसे रखते है रोज़ा ?
रोज़े के समय मुस्लिम लोग सूर्योदय से पहले मीठी सेहरी खाते हैं, फिर वे पूरे दिन भूखे-प्यासे रहने के बाद शाम को अपना रोजा (इफ्तार) खोलते हैं. इसके साथ ही प्रतिदिन सुबह से रात तक 5 वक्त की नमाज अदा की जाती हैं, जोकि इस शुभ समय में की जाती है -फ़ज्र (भोर), धुहर (दोपहर), असर (दोपहर), मग़रिब (शाम), और ईशा (रात). रमजान मुसलमान धर्म को मानने वाले सभी लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण महीना होता है, इस माह में लगभग सभी मुस्लिम लोग 30 दिनों तक रोजे रखते हैं. इस्लाम धर्म में पूरे रमजान को तीन टुकड़ों में बांटा गया है, जिसमें पहले, दूसरे और तीसरे अशरा कहलाते है. अशरा अरबी का 10 नंबर होता है. इस तरह रमजान के पहले 10 दिन (1-10) में पहला अशरा होता है फिर दूसरे 10 दिनों (11-20) में दूसरा अशरा और फिर तीसरे दिन (21-30) में तीसरा अशरा में बांटा होता है.
क्या है इन 3 अशरों के राज़ ?
पहला जो अशरा होता है - रहमत का और दूसरा अशरा होता है -मगफिरत यानी गुनाहों की माफी का और तीसरा अशरा होता है - जहन्नम (Hell) की आग से खुद को बचाने का. रमजान के पहले (1-10) दिनों में रोजा-नमाज करने वालों पर अल्लाह की पूरी रहमत होती है. फिर रमजान के (11-20) दिनों में दूसरे अशरे में मुसलमान अपने गुनाहों से पवित्र हो जाते हैं. इसके साथ ही रमजान के आखिरी (21-30) दिनों यानी तीसरे अशरे में जहन्नम की आग से खुद को बचा सकते हैं.
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