1. Home
  2. विविध

जीवन का ज्ञान वही पा सकेगा जिसके पास धैर्य हो

महात्मा बुद्ध की ख्याती चारों तरफ सूर्य की किरणों की भांति फैल रही थी. उन्हें सुनने, देखने एवं जानने की उत्सुक्ता लोगों में बढ़ती ही जा रही थी. अब यह बात सर्विदित थी कि बुद्ध के शब्दों में चमत्कारिक शक्तियां हैं, जो किसी भी इंसान को दुखों, पीड़ाओं एवं कष्टों से मुक्त कर सकती है. एक बार लोगों को ज्ञात हुआ कि महात्मा बुद्ध जीवन का ज्ञान बताने उनके क्षेत्र में आ रहें हैं. बस फिर क्या था उनके स्वागत की तैयारियां की जाने लगी. महात्मा बुद्ध जिस रास्ते से आने वाले थे उन रास्तों की सफाई कर दी गई. उन रास्तों को सजा दिया गया. जिस सभा में भाषण देने वाले थे, वहां लोगों की भीड़ देखते ही देखते खचाखच भर गई. हर कोई अपने दुखों से छुटकारा चाहता था, हर किसी को जीवन में खुशियों की तलाश थी. सभी को अपने जीवन में कोई ना कोई शिकायत थी. लोगों को भरोसा था कि आज उनकी सभी पीडाओं का अंत हो जाएगा. सभी को लग रहा था कि आज उन्हें जीवन में सत्य के दर्शन होंगें.

सिप्पू कुमार
budhana

महात्मा बुद्ध की ख्याती चारों तरफ सूर्य की किरणों की भांति फैल रही थी. उन्हें सुनने, देखने एवं जानने की उत्सुक्ता लोगों में बढ़ती ही जा रही थी. अब यह बात सर्विदित थी कि बुद्ध के शब्दों में चमत्कारिक शक्तियां हैं, जो किसी भी इंसान को दुखों, पीड़ाओं एवं कष्टों से मुक्त कर सकती है. एक बार लोगों को ज्ञात हुआ कि महात्मा बुद्ध जीवन का ज्ञान बताने उनके क्षेत्र में आ रहें हैं. बस फिर क्या था उनके स्वागत की तैयारियां की जाने लगी.

महात्मा बुद्ध जिस रास्ते से आने वाले थे उन रास्तों की सफाई कर दी गई. उन रास्तों को सजा दिया गया. जिस सभा में भाषण देने वाले थे, वहां लोगों की भीड़ देखते ही देखते खचाखच भर गई. हर कोई अपने दुखों से छुटकारा चाहता था, हर किसी को जीवन में खुशियों की तलाश थी. सभी को अपने जीवन में कोई ना कोई शिकायत थी. लोगों को भरोसा था कि आज उनकी सभी पीडाओं का अंत हो जाएगा. सभी को लग रहा था कि आज उन्हें जीवन में सत्य के दर्शन होंगें.

देखते ही देखते महात्मा बुद्ध के आने का समय हो गया और आखिरकार बुद्ध उस सभा में आए. उन्हें देखते ही लोग उतावले हो गए. हर कोई एक दूसरे को धक्का देकर आगे बढ़ने लगा, हर कोई ऊंचे स्थान की तलाश करने लगा, जहां से वो बुद्ध को देख सके. लेकिन यह क्या? जिस पल की प्रतिक्षा थी, वो पल आया ही नहीं. बुद्ध ने सभा में कुछ कहा ही नहीं और वो मौन होकर ही वहां से चले गए. सभी लोग चौंक गए, यह आखिर क्या हुआ, किसी के पास इसका उत्तर नहीं था. लोगों में तरह-तरह की बाते होने लगी. उत्सुक्ता की जगह अब निराशा ने ले ली.

budhan

खैर अगले दिन फिर बुद्ध सभा को संबोधित करने वाले थे. पहले की अपेक्षा इस बार भीड़ कुछ कम आई. लेकिन आज़ भी बुद्ध को सभी देखना चाहते थे. जैसे ही वो वहां आए श्रोताओं में उन्हें सुनने की होड़ लग गई. लोग एक दूसरे को धकेलते हुए आगे बढ़ने लगे. बुद्ध आज़ भी आए और बिना कुछ बोले चले गए. इसी तरह कुछ दिनों तक यह क्रम लगातार चलता रहा. बुद्ध के इंतजार में लोग आतुर होकर बैठे रहते और वो वहां बिना कुछ बोले ही चले जाते.

धीरे-धीरे लोगों ने सभा में जाना बंद कर दिया. वो लोग बाते करने लगे कि "हम सब घर का सारा काम-धाम छोड़कर वहां जाते हैं और बुद्ध बिना कुछ बोले ही वहां से चले जाते हैं. ऐसी सभा में जाने से क्या लाभ. हमने तो सुना था बुद्ध बहुत ज्ञानी हैं, जीवन का रास्ता दिखाते हैं. लेकिन हमे तो वहां जाकर ऐसा कुछ आभास नहीं हुआ."

budha

आज़ सभा का पांचवा दिन था. मात्र 14 लोग ही सभा में बैठें थे. महामानव बुद्ध ने आज़ जीवन का ज्ञान दिया, जिसे सुनकर सभी के मन तृप्त हो गए. बुद्ध के जाने से पहले किसी ने उनसे पूछा कि सभी आपको सुनना चाहते थे, लेकिन आपने सभी को ज्ञान क्यों नहीं दिया. तब महात्मा बुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा कि "जीवन के ज्ञान को धारण करने के लिए धैर्य की आवश्यक्ता होती है. अधिर और बैचेन मन वाला इंसान जीवन के ज्ञान को धारण नहीं कर सकता. मुझे भीड़ की आवश्यक्ता नहीं बल्कि ऐसे लोगों की आवश्यक्ता है जो मानवता का संदेश जन-जन को दे सकें."

English Summary: only those people will get knowledge who have patience Published on: 13 August 2019, 01:52 PM IST

Like this article?

Hey! I am सिप्पू कुमार. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News