कोरोना काल में सबसे ज्यादा प्रभावित हमारे देश के किसान हुए हैं. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से बहुत से किसानों की फसलें खेतों में ही बर्बाद हो गई या फिर सही कीमत नहीं मिल सका. हालांकि ऐसे कठिन समय में भी देश के किसान अथक परिश्रम करते रहे हैं ताकि देश को अनाज की कमी की समस्या से जूझना न पड़े. और हमारे घरों तक खाना पहुंच सके. गौरतलब है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां की लगभग 60 % आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है. यहां पर हर एक मौसम में अलग–अलग फसलों की खेती होती है. ताकि फसल की अच्छी उपज ली जा सकें. क्योंकि मौसम भारतीय कृषि को काफी हद तक प्रभावित करता है. अगर बात भारतीय कृषि में मानसून की करें तो भारतीय कृषि अभी भी काफी हद तक मानसून पर निर्भर है. क्योंकि यहां के कृषि भूमि का बड़ा हिस्सा अभी भी सिंचाई की सुविधा वंचित है. इसलिए यहां खरीफ फसलों की बुवाई दक्षिण पश्चिमी मानसून की शुरुआत से आरंभ होती है.
जैसा की सर्वविदित है कि मानसून के दौरान खेतों की सिंचाई तो हो ही जाती है, साथ ही नदी, पोखरों में भी पर्याप्त मात्रा में पानी भर जाता है, जिससे बरसात के बाद फसलों को पानी की कमी नहीं होती. मानसून देश में जून से सितंबर तक चलता है. इसी के मद्देनजर कृषि जागरण ने Helo ऐप के साथ एक कैंपेन शुरू किया है. इसमें यूजर को किसानों, मानसून और अन्य कृषि संबंधित गतिविधियों से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो #मानसून2020 के साथ ऐप पर शेयर करना होगा. इस अभियान का उद्देश्य किसानों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता लाने के साथ ही साथ बेहतर खेती के लिए सहायता और सुझाव प्रदान करना है.
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