हर साल 1 मई को महाराष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। दरअसल सन् 1960 में आज के दिन ही महाराष्ट्र और गुजरात अलग राज्य के रूप में पहचाने गए थे। भाषा के आधार पर दोनों ही राज्यों को अलग करने की मांग पहले से ही चल रही थी। जिस आधार पर मराठी बोलने वाले क्षेत्रों को अलग करते हुए महाराष्ट्र राज्य की स्थापना की गई साथ ही गुजराती भाषी क्षेत्रों को गुजरात राज्य की स्थापना की गई। इस दौरान आज के दिन महाराष्ट्र व गुजरात दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हालांकि दोनों राज्यों को अलग पहचान देने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इस बीच दोनों राज्यों के बीच अड़चन बनी थी मुंबई। कारण था कि दोनों ही चाहते थे कि मुंबई उनके हिस्से में आए। आखिरकार मुंबई तो महाराष्ट्र के हिस्से में आया।
दोनों ही राज्य स्थापना के बाद अपनी संस्कृति के कारण देश में अलग पहचान रखते हैं। राजनैतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। कृषि में भी दोनों ही राज्यों को योगदान सराहनीय है। गुजरात ने सफल किसान की कहानियां सुनाकर जहां पूरे देश को खेती में नवाचार और तकनीकी का इस्तेमाल का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है तो वहीं महाराष्ट्र ने भी कम पानी की उपलब्धता के बीच व संसाधनों की कमी के मद्देनज़र खेती में नई तकनीकों का उपयोग करते हुए आज अलग पहचान बना ली है।
गुजरात में आज बागवानी की खेती बढ़ती जा रही है। तो महाराष्ट्र देश के बड़े गन्ना उत्पादक राज्यों में शुमार है। अनार, अंगूर, आम, संतरा आदि की खेती के साथ-साथ राज्य दूध उत्पादन एवं अंडा उत्पादन में अग्रणी है।
महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है जहां ड्राई लैंड फार्मिंग व स्टेट सीड कार्पोरेशन जो कि किसानों द्वारा संचालित सीड कंपनी है आदि, जैसे नवाचारों को अपनाया गया है। बीजरहित अंगूर का उत्पादन महाराष्ट्र में सर्वाधिक होता है। लगभग 78 प्रतिशत बीजरहित अंगूर का उत्पादन महाराष्ट्र करता है। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र में बागवानी की खेती की संभावनाएं अधिक हैं।
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