संसार में मंदिर अनेक तरह के हैं एवं अलग-अलग धर्मों में बलि की अलग-अलग महत्वता है. बलि देने के कारण एवं तरीके भी नाना प्रकार के हैं. लेकिन संसार में एक मंदिर ऐसा भी है जहां बलि देने के बाद जान वापस आ जाती है. जी हां, भले ही आप इस बात पर भरोसा ना करें, लेकिन बिहार के भभुआ जिले में कैमूर की पहाडियों पर रोज ऐसा चमत्कार होता है. यहां जो भी घटित होता है, उसके सामने स्वयं विज्ञान भी पराजित होता है. दरअसल हम बात कर रहे हैं माता मुंडेश्वरी के नाम से प्रख्यात एक दिव्य मंदिर की. इस मंदिर को किसने और कब बनवाया इस बात के स्पष्ट प्रमाण तो नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इस स्थान का ताल्लुक स्वंय माता काली से है.
रोज होता है यहां चमत्कारः
विज्ञान को भी हैरान कर देने वाली एक घटना यहां रोज होती है. आप इस बात पर आश्चर्य करें या इसे श्रद्धा माने, लेकिन बकरे की बलि चढ़ाने के बाद यहां एक अनोखी घटना घटती है. दरअसल यहां जिंदा बकरे की बलि दी जाती है. बलि देते समय बकरे को किसी तरह का चोट नहीं पहुंचाया जाता है. हां माता के शरणों में आने से पहले भय के कारण पहले तो बकरा तड़पता है, लेकिन शरण में आते ही शांत होकर अचेत हो जाता है. मृतप्राय अवस्था में कुछ देर पड़े रहने के बाद इसके शरीर में पूणः चेतना वापस आ जाती है. लोगों की मान्यता है कि देवी बकरे को पूणः जीवन दान दे देती है. बलि की यह क्रिया संसार में कहीं ओर देखने को नहीं मिलती है.
ये है मंदिर के पीछे की मान्यताः
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि जब चंड-मुंड का संहार माता काली कर रही थी तो चंड के विनाश के उपरांत मुंड युद्ध करते समय इसी पहाड़ी में छिप गया, जहां भयंकर युद्ध करते हुए माता के हाथों उसका वध हो गया. इस घटना के बाद से ही इस मंदिर मुंडेश्वरी माता के नाम से प्रख्यात हो गया.
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