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मैं जावेद बोल रहा हूं !

'जाओ पहले उस आदमी का साइन लेके आओ', 'डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है', 'जो डर गया समझो वो मर गया' और 'इंसानों के पास एक चीज कमाल की है...और वो है जुबान' हिंदी सिनेमा प्रेमियों की जुबान पर ये डायलॉग आज भी चढ़े हुए हैं.

गिरीश पांडेय

'जाओ पहले उस आदमी का साइन लेके आओ', 'डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है', 'जो डर गया समझो वो मर गया' और 'इंसानों के पास एक चीज कमाल की है...और वो है जुबान' हिंदी सिनेमा प्रेमियों की जुबान पर ये डायलॉग आज भी चढ़े हुए हैं. इन्हें लिखा था मशहूर शायर जावेद अख्तर ने. जावेद अख़्तर की गिनती भारत के जाने-माने कवि, शायर, हिन्दी फिल्मों के  गीतकार  और पटकथा लेखक के रुप में की जाती है. उन्होनें अपने कैरियर की शुरुआत लेखन से ही की थी. धीरे-धीरे वह अपने लेखन से लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाते चले गए. वैसे तो जावेद अख़्तर कई मंचों पर ही कविता या शायरी करते थे परंतु हिंदी फिल्मों के गीत और संवाद लेखन के कारण ही उन्हें अधिक ख्याति और प्रसिद्धि मिली.

जावेद अख़्तर ने सीता और गीता, ज़ंजीर, दीवार और शोले की कहानी और संवाद लिखे. ये काम उन्होनें मशहूर गीतकार और लेखक सलीम खान के साथ किया और इसी के चलते भारतीय सिनेमा में सलीम-जावेद की यह जोड़ी बन गई. परंतु कुछ परिस्थितयों के चलते जावेद अख़्तर ने सलीम खान से दूरियां बना ली और इस जोड़ी ने फिर कभी एक साथ काम नहीं किया. इसके बाद जावेद ने गीत लिखना शुरु किया जिसमें तेज़ाब, 1942- अ लव स्टोरी और लगान शामिल हैं. इन हिंदी फिल्मों के गीत बेहद हिट हुए और लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गए. उन्हें कई फिल्मफेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है . जावेद अख़्तर आज भारत और भारतीय सिनेमा का एक बड़ा नाम हैं.

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इन दिनों जावेद अख्तर शायरी के साथ-साथ फिल्मों में गीत और पटकथा लेखन तो कर ही रहे हैं साथ ही वह एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी काम कर रहे हैं. आज उनका नाम सिर्फ एक गीतकार के तौर ही नहीं बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में भी खासा लोकप्रिय है. जावेद का जन्म 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुआ था. उनके पिता का नाम जाँ निसार अख़्तर था जो एक प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि थे और माता सफिया अखतर मशहूर उर्दू लेखिका और शिक्षिका थीं. ज़ावेद लोकप्रिय कवि, मजाज़ के भांजे भी हैं. अपने दौर के प्रसिद्ध शायर मुज़्तर ख़ैराबादी जावेद के दादा थे. इतना सब होने के बावजूद जावेद का बचपन पलायन में बीत.  पहले माँ का आंचल सर से उठ गया फिर लखनऊ में कुछ समय अपने नाना-नानी के घर बिताने के बाद उन्हें अलीगढ़ अपनी खाला के घर भेज दिया गया जहाँ के स्कूल में उनकी शुरूआती पढ़ाई हुई.

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जावेद अख़्तर ने दो विवाह किये हैं. उनकी पहली पत्नी से उन्हें दो बच्चे हैं- फरहान अख्तर और ज़ोया अख़्तर. फरहान और जोया दोनों हिंदी फिल्मों मे सक्रिय हैं. उनकी दूसरी पत्नी फिल्म अभिनेत्री शबाना आज़मी हैं.

भारत सरकार ने सन् 2007 में जावेद को पद्म भूषण से सम्मानित किया. इसके अलावा जावेद अख़्तर को सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

कृषि जागरण परिवार की ओर से जावेद अख़्तर को जन्मदिन की बधाई.

English Summary: Javed akhtar birthday celebration Published on: 17 January 2019, 01:56 PM IST

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