बाजार में इन दिनों नकली मसालों का व्यापार सातवें आसमान पर है. नकली मसालों को असली मसालों के साथ इस तरह मिलाकर बेचा जा रहा है कि इनका पता लगाना मुश्किल हो गया है. इतना ही नहीं, मसालों के साथ-साथ खाद्य तेल भी नकली और मिलावटी आ गए हैं. तेलों और मसालों में रंग, खुशबू और तरह-तरह के रसायन डालकर जनता को चूना लगाया जा रहा है.
वैसे बताने की जरूरत तो नहीं है कि मिलावटी मसालों के सेवन से किस तरह की समस्या हो सकती है, आपको पता ही है कि नकली और मिलावटी मसालों के सेवन से कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है. वहीं नकली तेल का सेवन दिल से जुड़ी बीमारियों को दावत देता है. इसीलिए सतर्कता बरतनी जरूरी है.
मिलावटी और केमिकल एवं ग्लिसरीन युक्त तेल मसालों को खाने से लीवर संबंधी रोगों की आशंका बढ़ती है. मिलावटी मसालों में कई बार एल्डीहाइट, पॉलीमर्स भी देखा गया है जो नुकसानदेह है. फैटी एसिड हृदय की धमनियों में जमकर हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाता है. रसायन युक्त तेलों के उपयोग से स्वशन तंत्र भी प्रभावित होता है. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे कुछ आसान तरीकों से आप मिलावट का पता लगा सकते हैं.
सरसों के तेल में मिलावट
खाने में सरसों के तेल को हर कोई उपयोग करता है. असली सरसों का स्वाद तीखा और कड़वा होता है, जबकि मिलावटी तेल ऐसा नहीं होता. पामोलिन मिला तेल जो देखने में सरसों जैसा होता है, को फ्रिज में रखने पर वो वनस्पति की तरह जम जाता है. बता दें कि शुद्ध सरसों का तेल जमता नहीं है. गौरतलब है कि सरसों के तेल में अरंडी, सत्यानाशी, सोयाबीन और पॉम ऑयल के सहारे मिलावट किया जाता है. मिलावटखोर राइस ब्रॉन को भी सरसों में कई बार मिलाते हैं.
गरम मसाले में मिलावट
मसालों में मिलावट का पता लगाने के लिए कांच का पारदर्शी गिलास लें, इसमें पानी भरते हुए एक चम्मच गरम मसाला डालें. अगर गरम मसाला पानी में ज्यादा रंग नहीं छोड़ता तो वो शुद्ध है.
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