जीवन क्रिया और प्रक्रिया का मिला-जुला रुप होता है. हम बच्चों के विषय में विचारते समय अक्सर यह भूल जाते हैं कि हम भी कभी बालपन के इस स्वर्णिम दौर से गुज़र चुके हैं बस अंतर इतना है कि समय के साथ-साथ तकनीक ने अपने पंख फैलाए हैं और यह लगातार और अधिक ऊंचाईयों पर जा रही है. हमारे बाप-दादा के समय तकनीक का स्तर कम था, हमारे दौर में इसने उड़ान भरी और अब यह सुपरसोनिक पर है.
बच्चों का संसार हुआ व्यापक
दिल्ली के ओखला स्थित एनएसआईसी मैदान में 'कॉमिक कॉन-2018' मेले का 8वां संस्करण आयोजित किया गया। इस मेले में प्रतियोगी के तौर पर भारत के कईं राज्यों से प्रतिभागी आए थे। यहां पहुंचा हर प्रतियागी एक विशेष गेट-अप में आया था. जो भी सबसे बेहतर गेट-अप माना जाता है, उसे एक लाख रुपये इनामी राशि दी जाती है। इसके अलावा यहां बच्चों और बड़ों दोनों के लिए कईं प्रकार के खेल और प्रतियोगिताएं आयोजित की गई थीं। यहां तकनीक के साथ लड़कपन का अद्भभुत संगम देखने को मिला क्योंकि यहां एक ओर कॉमिक्स,गेम्स,पोस्टर्स थे तो वहीं इन सबको तकनीक के माध्यम से प्रासंगिक बनाने का सफल प्रयास किया जा रहा था। तकनीक ने बच्चों के संसार को बहुत व्यापक स्तर पर फैला दिया है और इसमें सोशल साइट्स की भूमिका अहम है।
किस-किस ने की शिरकत
कॉमिक कॉन मेले-2018 में मनोरंजन जगत की कईं बड़ी-बड़ी हस्तियों ने शिरकत की, जिसमें इंटरनेट की दुनिया के कईं उभरते सितारों ने आम लोगों से अपने अनुभव साझा किए. यूट्यूब चैनल 'द टाइमलाइनर्स' के कलाकारों ने यहां पहुंची जनता का खूब मनोरंजन किया, इसके अलावा इंटरनेट स्टैंड-अप कॉमेडियन कुनाल कामरा ने भी जनता से कईं मुद्दों पर बात की।
क्या रहे मुख्य आकर्षण
इस मेले की एक खास बात यहां लगी प्रदर्शनियां और स्टॉल थे। यहां कॉमिक स्टॉल,गेम्स स्टॉल,टी-शर्ट और स्वैट-शर्ट स्टॉल मुख्य तौर पर देखे जा सकते थे। इसके अलावा आने वाली हॉलीवुड फिल्मों के प्रचार यानी प्रमोशन के लिए अलग से स्टॉल रखे गए थे। हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म 'एक्वॉमैन' का प्रचार ज़ोरों-शोरों पर था.
तकनीक ने बदल दी दुनिया
तकनीक और कला के अद्भभुत संगम को यदि एकसाथ देखना है तो इस मेले में देख सकते हैं. बच्चों की दुनिया पर तकनीक का बहुत असर देखने को मिला है क्योंकि अब तकनीक ने बच्चों के समक्ष एक ऐसी दुनिया का अस्तित्व रख दिया है जो वास्तव में है ही नहीं और बच्चों का दिमाग इतना कोमल और संवेदनशील होता है कि वह उस दुनिया को सच मानकर उस खेल में जीने लगते हैं । हाल ही में बच्चों के संदर्भ में मामले सामने आए जब ब्लू व्हैल गेम के चलते कईं बच्चों के मरने की खबर आई और फिर इस खेल पर रोक लगा दी गई और आजकल ऐसा ही एक खेल सामने आया है जिसका नाम पब-जी है, बच्चों इस खेल में इतने मशगुल हो जाते हैं कि उन्हें कुछ और होश नहीं रहता। तकनीक तभी बेहतर है जब वह बच्चों के जीवन को ज्ञान के साथ महका दे न कि उनका बचपन छीन ले।
गिरीश पांडे, कृषि जागरण
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