कीटों के प्रबंधन के लिए हमको कीटनाशकों का उपयोग करना होता है. लेकिन रासायनिक कीटनाशकों से कई बार फसलों के ख़राब होने का डर भी बना रहता है. इसी कारण हम जैविक कीटनाशकों का प्रयोग हम अपनी फसलों के संरक्षण के लिए करते हैं. जैविक कीटनाशक या जैविक खेती से तात्पर्य पौधें और फसलों को संरक्षित रखने और कीटों और कीटाणुओं के प्रभावी नियंत्रण के लिए पौधों, जीवाणु और अन्य जैविक संयंत्रों का उपयोग करना है. जैविक कीटनाशकों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
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नीम की पत्ती का रस
वैसे तो नीम पूरी तरह से ही हमारे लिए लाभदायक है. लेकिन इसका फसलों में भी उपयोग किया जाता है. नीम पत्ती से बनाए गए कीटनाशक को कीटाणुओं के विरुद्ध जैविक कीटनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है. नीम पत्ती एक्सट्रैक्ट नीम के पत्तों की उच्च कोंसेन्ट्रेशन होती है और कीटाणुओं को नष्ट करने में मदद करती है.
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बैक्टीरियल प्रोडक्ट्स
जैविक कीटनाशक के रूप में खेती में बैक्टीरियल प्रोडक्ट्स भी प्रयोग किए जाते हैं. ये बैक्टीरिया की जीवितता को प्रभावित करते हैं और कीटाणुओं के विकास को रोकने का प्रयास करते हैं.
फंगल प्रोडक्ट्स
जैविक कीटनाशकों में फंगल प्रोडक्ट्स भी शामिल होते हैं. इन प्रोडक्ट्स में फंगस या उनके उत्पाद का प्रयोग किया जाता है, जो कीटाणुओं के विकास और प्रगति को रोकते हैं.
जैविक प्रतिरक्षा पदार्थ
जैविक कीटनाशकों में जैविक प्रतिरक्षा पदार्थों का उपयोग भी होता है. ये पदार्थ पौधों को कीटाणुओं के प्रतिक्रियाशीलता से सुरक्षा प्रदान करते हैं.
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भारत आज से नहीं बल्कि शताब्दियों से जैविक कीटनाशकों के प्रयोग के आधार पर ही फसलों को संरक्षित करता रहा है. जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करने से फसलों को कीटों से होने वाले नुकसान से कई गुना तक बचाया जा सकता है.
साथ ही इनके प्रयोग से फसलों को किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंचती है. जैविक कीटनाशकों से आप फसलों को सही तरीके से रोगों से मुक्त रख पाते हैं.
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