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खेत से लेकर उपभोक्ता तक कृषि विपणन की अहम भूमिका, जानें इसके प्रमुख उद्देश्य!

Agricultural Marketing: कृषि विपणन के अन्तर्गत वे सभी सेवाएं आती हैं, जो कृषि उपज को खेत से लेकर उपभोक्ता तक पहुंचाने में होती है. विपणन व्यवस्था जनोपयोगी होने के अलावा एक लाभदायक विज्ञान भी है. यह एक मार्ग प्रदर्शक का कार्य करते हुए हमें व्यावहारिक दृष्टिकोण से कार्य करने की सलाह देता है.

KJ Staff
क्या है कृषि विपणन और इसके प्रमुख उद्देश्य? (Picture Credit - FreePik)
क्या है कृषि विपणन और इसके प्रमुख उद्देश्य? (Picture Credit - FreePik)

Agricultural Marketing: भारत एक कृषि प्रधान देश है, और यहां की अर्थव्यवस्था में कृषि की एक महत्वपूर्ण भूमिका है. कृषि विपणन के अन्तर्गत वे सभी सेवाएं आती हैं, जो कृषि उपज को खेत से लेकर उपभोक्ता तक पहुंचाने में होती है. विपणन व्यवस्था जनोपयोगी होने के अलावा एक लाभदायक विज्ञान भी है. यह एक मार्ग प्रदर्शक का कार्य करते हुए हमें व्यावहारिक दृष्टिकोण से कार्य करने की सलाह देता है. यह उन उपायों की भी खोज करता है. जिनके प्रयोग से हमारा उत्पादन और वितरण लक्ष्य या आदर्श पूरा हो सकता है, इस प्रकार कृषि विपणन विज्ञान और कला दोनों का एक समन्वित स्वरूप है.

कृषि विपणन, कृषि अर्थशास्त्र का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है, क्योंकि संपूर्ण अर्थव्यवस्था के विकास तथा संपूर्ण राष्ट्र की खुशहाली कृषि विपणन की सफलता पर ही निर्भर करती है. कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि कृषि विपणन कृषि उत्पादन नियोजन का केंद्र बिंदु है.

कृषि विपणन के प्रमुख 4 उद्देश्य है...

1. स्वयं उत्पादक कृषकों के लिए विपणन अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य कृषि उत्पादों को बेचकर ज्यादा से ज्यादा लाभ अर्जित करना होता है. यदि लाभ की राशि समुचित है तो समझा जाता है कि उत्पादन विधि और उत्पादन कुशलता बेहतर है या अच्छी है. ऐसी स्थिति में अधिकतम आर्थिक लाभ प्रदान करने वाले कृषि उत्पाद के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जाता है. कहने का आशय यह है कि सुव्यवस्थित विपणन विधि की प्रचलन से कृषक उत्पादन हेतु अधिक उत्साहित होते हैं. इसके फल स्वरुप कृषक तथा राष्ट्र की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है.

2. एक सभ्य समाज में प्रशासन का यह दायित्व होता है कि वह समाज के प्रत्येक आर्थिक वर्ग के विपणन हितों को न सिर्फ संरक्षण दें, अपितु उन्हें विकसित करने से भी सहायता करें. सरकार जहां उत्पादकों को उनके उत्पाद की उचित कीमत उपलब्ध कराती हैं वहां उपभोक्ताओं में उचित कीमत पर उपभोग पदार्थ का वितरण भी करती है. ताकि सभी वर्ग भली-भांति जीवन यापन कर सके, इसके लिए विकसित विपणन व्यवस्था नितांत आवश्यक है. स्पष्ट है कि सरकार इस हेतु समाज के सभी वर्गों को उनकी आकांक्षाओं आवश्यकताओं के अनुकूल उपभोग पदार्थ तथा न्यायोचित लाभ प्राप्त करना और उत्पादन वृद्धि के लिए प्राप्त प्रेरणा देना है.

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3. कृषि विपणन उपभोक्ताओं के लिए भी लाभकारी है. इस व्यवस्था के अंतर्गत उपभोक्ता वर्ग को अपनी जनांकिकीय स्थिति के अनुसार उत्तम कृषि जनित उपभोक्ता पदार्थ अनाज, दाल, तेल आदि अपनी क्रयशक्ति के अनुसार सुलभ हो जाती है. उपभोक्ताओं की आवश्यकताएं असंख्य होती हैं और उसकी तुष्टि के लिए संसाधन अति सीमित होते हैं. यह सत्य है कि उतनी वेग से विपणन क्रियाओं में भी वृद्धि होगी. अतः सुव्यवस्थित अथवा कुशल विपणन व्यवस्था के लिए आवश्यक है कि ग्राहक की जरूरत की चीजें उनकी आकांक्षाओं और क्रय क्षमता के अनुकूल कीमत पर उपलब्ध होती रहे.


4. विपणन मध्यस्थ अपनी सेवाएं तथा कार्यों के द्वारा अधिकतम लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य रखते हैं. विपणन प्रक्रिया में कई मध्यस्थों की सेवाएं आवश्यक तथा महत्वपूर्ण बनी हुई है. इसके कारण है कृषि उत्पादन की विधि व उत्पादों के प्रकार में भारी विविधता का होना तथा असंख्य कार्यकारी जोतों पर विपणन अतिरेक का बिखरा होना. विपणन मध्यस्थ कृषि विपणन की पहली प्रक्रिया एकत्रीकरण से उपभोक्ता तक उत्पादन के संचालन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. प्रत्येक दशा में अपनी सेवाओं का उचित मूल्य या लाभप्रद मूल्य मिलता रहे, यही विपणन अध्ययन के पीछे, वर्तमान अथवा भविष्य के लिए, उनका निहित दृष्टिकोण और उद्देश्य होता है. यद्यपि उन्हें लाभ मिलने पर उपभोक्ता मूल्य में उत्पादक का अंश घट जाता है, परन्तु विपणन कार्य बिना किसी रूकावट के चलते रहते हैं. यदि किसी कारण से उनका लाभ दुष्प्रभावित होता है तो वह दूसरे व्यवसायों की और गतिशील हो जाते हैं और विपणन व्यवस्था छिन्न-भिन्न वह बाधित होने लगती है. यह गतिरोध उत्पादकों और ग्राहकों के लिए समान रूप से क्षतिकारक होता है, अर्थात इस गतिरोध से विपणन के यह दोनों पक्ष दुष्प्रभावित होते हैं.

वर्तमान समय में प्रभावी विपणन प्रबंधन द्वारा कृषि उत्पाद विकास की प्रभावशाली रूपरेखा बनाई जाती है. उपभोक्ता पदार्थों के व्यक्तिगत वितरण और व्यापारी मध्यस्थ वर्ग को संतुष्ट करने की चेष्टा की जाती है. इन तीन बिंदुओं पर संतुलन या संतुष्टि की स्थापना बड़ा ही जटिल कार्य बन चुका है. विपणन की प्रकृति उत्पादों की प्रकृति और विपणन कार्यकर्ताओं की मानसिकता से नियंत्रित होती है विपणन का क्षेत्र साहसी उत्पादकों विपणन कार्यकर्ताओं और उपभोक्ताओं की मानसिकता से यह सभी प्रक्रियाएं व कारक मिलकर संयुक्त रूप से विपणन की प्रकृति एवं क्षेत्र का निर्धारण करते हैं. कृषि विपणन विज्ञान होने के साथ-साथ एक व्यावहारिक विज्ञान भी है. कृषि विपणन जांचने परखने योग्य तत्वों का अध्ययन करता है. इसमें कारण तथा परिणाम के मध्य केवल संबंध की स्थापना होती है. तथा क्या है और क्या होना चाहिए की संगत समस्याओं का अलग-अलग समाधान होता है.

 

रबीन्द्रनाथ चौबे

ब्यूरो चीफ, कृषि जागरण
बलिया, उत्तरप्रदेश

English Summary: agricultural marketing and 4 main objectives for agriculture market in india Published on: 19 June 2024, 11:59 AM IST

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