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अजय बिष्ट से योगी अदित्यनाथ बनने का संघर्ष भरा सफर

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ को उनके 46 वे जन्मदिन पर हार्दिक बधाई संन्यासी से देश के सबसे बडे राज्य के मुख्यमंत्री बने कि संघर्ष भरी कहानी उत्तराखंड के पौड़ी मे जन्मे योगी अदित्यनाथ कि कहानी और उनकी सफलता आज के युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ को उनके 46 वे जन्मदिन पर हार्दिक बधाई संन्यासी से देश के सबसे बडे राज्य के मुख्यमंत्री बने कि संघर्ष भरी कहानी उत्तराखंड के  पौड़ी  मे जन्मे योगी अदित्यनाथ कि कहानी और उनकी सफलता आज के युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं।

5 जून 1972 को पोड़ी गढवाल के पंचेर गांव में नंद सिंह  बिष्ट  के घर योगी अदित्यनाथ का जन्म हुआ उनका वास्तविक नाम अजय मोहन सिंह है। गढवाल विश्वविद्घालय से उन्होने बीएससी कि डिग्री प्राप्त की वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिशद के प्रख्यत कार्यकरता के रुप में कार्य करते रहे। 22 वर्ष कि आयु में उन्होने अपने घर-परिवार का त्याग कर गोरखपुर चले गए।

बाद में गोरखपुर में महंत अवैधनाथ के समाधिस्थ होने पर वह गोरखपीठाधीशवर बने बारहवी लोकसभा 1998-99 में मात्र 26 वर्ष कि उम्र में सबसे कम आयु के सांसद बने। 1991 के छात्रसंघ चुनाव में पराजय के बाद वह इस प्रकार आहत हुए कि उन्होने अपने मामा महंत अवैधनाथ को पत्र लिखकर गोरखपुर बुलाने का आग्रह किया और गोरखपुर पहंचने के बाद कभी पीछे मुड़कर नही देखा औऱ अजय बिष्ट से योगी अदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री का संघर्ष भरा सफर बखूबी पूरा किया।

शुरुआत में अंतर्मुखी स्वभान के थे योगी अदित्यनाथ इसलिए सरल सहज रास्ता छात्रसंघ चुनाव लगा एबीवीपी से जुडे हुए थे मगर टिकट उन्हे नहीं मिला एबीवीपी ने महासचिव पद पर दीप प्रकाश भट्ट को टिकट दिया तो समर्थको के कहने पर योगी बागी होकर चुनावी मैदान में उतरे हालांकि यहां पे उन्हे सफलता हासिल नही हुई बुरी तरह से पराजय का सामना करना पडा और वह पांचने पायदान पे रहे।

इस चुनाव में अरुण तिवारी को जीत मिली। इस पराजय ने उनका जीवन ही बदल दिया और भविष्य में एक बडी विजय का मार्ग खोल दिया। 1992 में वह गोरखपुर चले गए और फिर वहीं के होकर रह गए कोटद्वार विश्वविघालय में वह जितने भी दिन रहे बेहद सादगी से रहे। हालांकि आगे बढने कि लग्न उनमे हमेशा से थी। 1991 के कोटद्वार विश्वविघालय के अध्यक्ष रहे विनोद रावत के मुताबिक योगी ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया। कठिन पारिवारिक परिस्थतियों से होकर वह गुज़रे और अपनी एक अलग पहचान बनाई।

गोरखपुर में महंत अवैधनाथ के पास पहुंचने के बाद उन्होने संन्यास कि दीक्षा ग्रहण कि फिर अपने पिता यमकेशवर को चिठ्ठी भेजी जिसमें सारी परिस्थतियां अपने पिता के सामने रखी। उन्होने बताया कि अपने स्तर पर दीक्षी ले ली गई है। और अब अजय बिष्ट मर गया अब से केवल योगी अदित्यनाथ का ही अस्तित्व है।

मुख्यमंत्री और एक प्रखर नेता होने के कारण प्रधानमंत्री मोदी के बाद अपनी पार्टी के सबसे लोकप्रिय नेता माने जाते है और एक नेता के तौर पे चुनावों मे उनका प्रर्दशन अद्भभुत रहा है त्रिपुरा और कर्नाटक के विधानसभा चुनावो जिस-जिस सीट पे योगी अदित्यनाथ ने प्रचार किया है उनमें से ज्यादातर सीट उनकी पार्टी ने ही जीती है। एसे ही अपने जीवन में उन्हे सफलता प्राप्त हो यही हमारी कामना है।

 

भानु प्रताप

कृषि जागरण

English Summary: Yogi Adityanath News Published on: 05 June 2018, 06:43 AM IST

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