हर साल 12 जून को वर्ल्ड चाइल्ड लेबर डे (World Day Against Child Labour) मनाया जाता है, लेकिन फिर भी दुनियाभर में बाल श्रम कराना आम बात हो गई है. बाल श्रम को अपराध की श्रेणी में रखा जाता है. आपने अक्सर खेलने-कूदने वाली उम्र के बच्चों को काम करते देखा होगा, जिसे बाल श्रम कहा जाता है. इसमें बदलाव लाने के लिए ही दुनियाभर में वर्ल्ड चाइल्ड लेबर डे मनाया जाता है.
आपको बता दें कि बाल श्रम को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद स्थिति में किसी तरह का बदलाव नहीं हो रहा है. इस दिन को इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन ने साल 2002 से मनाना शुरू किया था. तब से हर साल 12 जून को वर्ल्ड चाइल्ड लेबर डे मनाया जाता रहा है. इसका उद्देश्य है कि देश में बढ़ते बाल श्रम को रोका जा सके. दुनियाभर में कई ऐसे बच्चे हैं, जो कि बाल श्रम में फंसकर अपना जीवन जी रहे हैं. ऐसे में इस दिन को मनाने का सीधा मकसद है कि दुनियाभर से बाल श्रम को खत्म किया जा सके.
ILO की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012 से 2016 में कहा गया है कि 5 से 17 साल की उम्र के लगभग 152 मिलियन बच्चों को विशेष परिस्थितियों में श्रम करने पर मजबूर किया जा रहा है. इतना ही नहीं, ये बच्चे खतरनाक काम करने को मजबूर होते हैं.
वर्ल्ड चाइल्ड लेबर डे को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह दिन बाल श्रम को जड़ से खत्म करने की प्रेरणा देता है. अगर साल 2020 की बात की जाए, तो कोरोना वायरस औऱ लॉकडाउन ने इस पर अपना प्रभाव छोड़ा है. अधिकतर बच्चों के काम करने का कारण निर्धनता और अशिक्षा है. जब तक देश में भुखमरी रहेगी, शायद तब तक हमारा देश इस समस्या से निजात नहीं पा सकता है.
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