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विश्व बैंक ने आंध्र प्रदेश और भारत सरकार के साथ 172. 2 मिलियन डॉलर के एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं. भारतीय मुद्रा के हिसाब से लगभग 1257 करोड़ रूपये की यह राशि, आंध्र प्रदेश एकीकृत सिंचाई तथा कृषि सरंक्षण परियोजना (एपीआईआईएटीपी) पर खर्च की जाएगी। यह योजना आंध्र प्रदेश में कृषि को अधिक लोगों की वित्तीय गतिविधि बनाने के लिए लाई गई है. योजना से राज्य के गरीब और हाशिए वाले किसानों, कृषि उद्यमियों, महिलाओं और अन्य कमजोर समूहों के दो लाख परिवारों को फायदा पहुँचाने का लक्ष्य है.
एपीआईआईएटीपी कार्यक्रम बड़े पैमाने पर उन ग्रामीण क्षेत्रों में लागू किया जायेगा जहाँ कृषि पूरी तरह से बारिश पर निर्भर है। इन क्षेत्रों में कार्यक्रम के जरिये सिंचाई, सूखाग्रस्त हिस्सों में भी पनपने वाली बीज की किस्में और फसल तकनीक में सुधार किया जायेगा। इससे छोटे तथा मँझोले गरीब किसानों को प्रतिकूल जलवायु के प्रभाव के खिलाफ लड़ने में मजबूती मिलेगी। कार्यक्रम का उद्देश्य मिट्टी के स्वास्थ्य, जल उपयोग दक्षता, और फसल उत्पादकता में सुधार करना था.
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इस परियोजना में आंध्र प्रदेश के कमजोर जलवायु वाले 12 जिलों के 1,000 से अधिक गांवों में फैले बर्षा आधारित सिंचाई वाले 90,000 हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है.
भारत में विश्व बैंक के निदेशक जुनैद अहमद ने एक बयान में कहा कि भारत को कृषि में आधुनिक बनाने और अपनी लचर प्रणाली में परिवर्तन के लिए रणनीतिक बदलाव की जरूरत है. भारत की अधिकतर ग्रामीण आबादी बड़े पैमाने पर बर्षा आधारित कृषि पर निर्भर है. ऐसे में कमजोर जलवायु से बचने की दिशा में इस्तेमाल होने वाली तकनीक और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ जल सरंक्षण की दिशा में अधिक जोर देने की जरुरत है.
रोहताश चोधरी, कृषि जागरण
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