भारत सरकार के नीति आयोग के सदस्य और आर्थिक विकास संस्थान, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रोफेसर रमेश चंद ने प्राकृतिक खेती के परिणामों की सराहना की और वैज्ञानिकों से इस पद्धति पर वैज्ञानिक डेटा का आकलन करने का आग्रह किया. प्रोफेसर चंद हिमाचल प्रदेश के दौरे पर हैं और इस दौरान वह प्राकृतिक खेती से जुड़े वैज्ञानिकों और किसानों से बातचीत करेंगे.
रविवार को प्रोफेसर चंद ने नौणी में डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय का दौरा किया, जहां उन्होंने विश्वविद्यालय की प्राकृतिक खेती टीम के साथ एक बैठक की. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने उनका स्वागत किया और राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारे में बताया. प्रोफेसर चंद ने प्राकृतिक खेती को एक मजबूत वैज्ञानिक आधार प्रदान करने के लिए लगातार वैज्ञानिक डेटा एकत्रित करने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने प्राकृतिक उपज के प्रमाणीकरण और विपणन पर भी चर्चा की.
सोमवार को प्रोफेसर चंद ने सोलन के पास जौणाजी के प्रगतिशील किसान शैलेन्द्र शर्मा और शिल्ली के मनदीप वर्मा के खेतों का दौरा किया. दोनों किसान कई वर्षों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. शैलेन्द्र शर्मा ने विदेशी सब्जियों और सेब पर प्राकृतिक खेती के प्रभाव का प्रदर्शन किया, जबकि मंदीप वर्मा ने कीवी, उच्च घनत्व सेब की खेती और शीतोष्ण फलों के नर्सरी उत्पादन पर इसके प्रभावों पर चर्चा की. दोनों किसानों ने अपने सकारात्मक अनुभव साझा किए और प्राकृतिक खेती के पर्यावरण और स्वास्थ्य लाभों पर प्रकाश डाला. प्रोफेसर चंद ने इस कृषि पद्धति को अपनाने और उसे बेहतर बनाने में और उनके नेतृत्व की सराहना की.
प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के साथ एक संवाद सत्र मंगलवार को मशोबरा में विश्वविद्यालय क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान और प्रशिक्षण स्टेशन में आयोजित किया जाएगा. प्रोफेसर चंद स्टेशन पर विकसित सेब के प्राकृतिक खेती मॉडल का भी दौरा करेंगे.
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