वैश्विक बीमारी कोरोना के चलते ही देश में लॉकडाउन लगा हुआ है. लॉकडाउन से किसानों की चिंता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. बता दें, अब सब्जियों की खेती करने वाले किसानों की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ गई है. किसानों के घर-आंगन, खलिहान बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के बाद बची हुए अनाजों से भरे हुए हैं. इनकी बिक्री लॉकडाउन के चलते समय पर नहीं हो पा रही है जिससे किसानों में नकदी की कमी बनी हुई है.
वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी और छोटे धंधे चलाकर गृहस्थी का खर्च चलाने वाले परिवार भी आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. देश में परिवहन व्यवस्था बंद पड़ी है जिससे किसान सब्जयों की पैदावार (उपज) को दूसरे स्थान पर नहीं भेज पा रहे हैं या यूं कहें कि उनकी खपत नहीं हो पा रही है. अब खेतों में सब्जियां खराब हो रही हैं. कुछ किसान ऐसे हैं जो लोगों को सब्जियां दान कर रहें है और बची हुई सब्जी को जानवरों के हवाले कर रहें या तो फिर खेत में ही नष्ट कर दे रहे हैं.
राजस्थान के जयपुर जिले के सनखेड़ा गांव के सब्जी उगाने वाले किसान जगदीश बताते हैं कि उनकी अपनी कोई जमीन नहीं है. वे खेत बटाई पर लेकर खेती करते हैं. उन्होंने इस बार बैंक से 50 हजार रुपए का कर्ज लेकर खेत में टमाटर, पत्ता गोभी और फूल गोभी लगाई थी. इस बार उनकी सब्जियों की पैदावार पिछले साल की तुलना में अच्छी थी लेकिन देश में लगे लॉकडाउन के कारण खेत में ही सब्जियां सड़ गईं. उन्होंने एक एकड़ में टमाटर लगाए थे जो खेत में ही सड़ गए. साथ ही पत्तागोभी और फूलगोभी भी खराब हो गई.उसी गांव के दूसरे किसान सोनू भदौरिया का कहना है कि उन्होंने लगभग एक एकड़ से अधिक जमीन पर में लौकी, बैंगन, हरी मिर्च, टमाटर लगाए थे, जब सब्जी बेचने की बारी आई तो लॉकडाउन शुरू हो गया. जिसके चलते ही सब्जियां बिक नहीं पाई और खेत में ही ख़राब हो गईं.
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