प्रधानमंत्री मोदी ने 13 जनवरी 2016 को प्राकृतिक आपदाओं से किसानों की फसलों के नुकसान से भरपाई करने के लिए एक योजना की शुरूआत की थी. जिसका नाम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना रखा गया. अब राजस्थान के झुंझुनू के किसान इसकी आस लगाए बैठे हुए हैं कि हमें हमारी फसल के नुकसान के बदलें में यह योजना कुछ जरूर लाभ देगी. बीमा के क्लेम का इतंजार करते-करते किसानों की आखों की रोशनी अब धीरे-धीरे गायब होती चली जा रही है लेकिन अभी तक किसानों को दो सीजन का बीमा क्लेम नहीं मुहैया कराया गया है. खबरों के मुताबिक सरकार और बीमा कंपनियां इस मामले में लचीला रूख अपना रही हैं. जिसके चलते किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. आखिर क्या वजह है कि किसानों को ऐसी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है.
वहीं कृषि विभाग की जारी लिस्ट की मानें तो साल 2017 -18 में खरीफ की फसल के लिए 2 लाख 88 हजार, रबी के लिए 2 लाख 69 हजार किसानों से प्रीमियम लेकर फसल का बीमा किया गया. दोनों सीजन में रबी के लिए किसानों का बीमा बजाज एलायंज कंपनी और खरीफ का बीमा टाटा एआइजी कंपनी ने किया था. अब क्लेम की राशि न अदा करने के पीछे बीमा कंपनियां तर्क दे रही हैं कि बैंकों से मिलने वाला डाटा और सरकार की तरफ से सब्सिडी नहीं मिल पा रही है. जैसे ही ये सभी काम पूरे हो जाएंगे उसके बाद किसानों की क्लेम राशि दि दी जाएगी. अब सवाल ये उठता है कि किसान अब किसका मुंह देखें? सरकार का या बीमा कंपनियों का या? या फिर क्लेम की राशि की आशा ही छोड़ दें.
झुंझुनू के किसानों को अभी तक खरीफ 2017 का ही क्लेम मिल पाया है सभी किसानों को नहीं. साल 2017 में 14 हजार किसानों ने बीमा कराया था. इसके लिए किसानों ने 38 करोड़ रूपये का प्रीमियम जमा किया था. जिसके बदले बीमा कंपनियों ने 32 हजार किसानों को 63.66 करोड़ रुपए क्लेम जारी किया. अगर वहीं ख़बरों की मानें तो रबी और खरीफ सीजन की फसल के बीमा क्लेम के लिए किसानों को 1-2 महीने का इंतज़ार करना पड़ सकता है.
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