WHO विश्व के देशों के स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानव को स्वास्थ्य सम्बन्धी समाज विकसित कराने की संस्था है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य हैं. यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है. इस संस्था की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गयी थी.
WHO लगातार अपने कर्तव्यों का पालन करता आ रहा है. कोरोना महामारी में भी जिस तरह से WHO ने समय-समय पर जानकारी देकर विश्व भर में एक नियंत्रण बना कर रखा वो काफी सराहनीय रही. आपको बता दें एक बार फिर WHO ने सबको चौका दिया है.
संगठन ने बुधवार को बच्चों के लिए दुनिया में पहले मलेरिया टीके के व्यापक इस्तेमाल की सिफारिश की. संगठन ने इस सफलता की बधाई देते हुए, विज्ञान, बाल स्वास्थ्य और मलेरिया नियंत्रण के लिए संस्थान को सराहा, और इस क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि बताई. RTS, S/AS01 मलेरिया वैक्सीन की सिफारिश घाना, केन्या और मलावी में चल रहे एक पायलट कार्यक्रम के नतीजों पर आधारित है. जिसकी साल 2019 में शुरुआत हुई थी. मलेरिया एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जो बच्चों पर प्रहार कर उनकी जान लेती आई है. आपको जान कर दुःख होगा कि मलेरिया से हर दो मिनट में दुनिया में एक बच्चे की जान चली जाती है.
मलेरिया के टीके की सिफारिशों पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा कि मलेरिया को रोकने के लिए मौजूदा उपकरणों के अलावा टीके का इस्तेमाल करके हर साल 10,000 हजार युवाओं की जान बचाई जा सकती है.
क्या है नया शक्तिशाली टूल
उन्होंने कहा, ''यह एक शक्तिशाली नया टूल है. लेकिन कोरोना वैक्सीन की तरह, यह एकमात्र टूल नहीं है. मलेरिया के खिलाफ टीकाकरण बेडनेट या बुखार की देखभाल सहित अन्य उपायों की जरूरतों को प्रतिस्थाप या कम नहीं करता है.'' उन्होंने यह भी कहा कि वह इस दिन का इंतजार कर रहे थे जब मलेरिया जोकि प्राचीन और भयानक बीमारी है, उसका टीका होगा और आज वह दिन है.
आज का दिन ऐतिहासिक है और इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षर से लिखा जाएगा. बच्चों को अगर एक खरोच भी आजाए तो माँ-बाप की जान निकलने लगती है. इस खबर के बाद माँ-बाप को सबसे अधिक रहत मिलेगी.
इसे भी पढ़ें -15 अप्रैल के बाद भारत में हर रोज होंगी 50 हजार मौतें! जानिए WHO की इस चेतावनी का पूरा सच
बता दें कि मलेरिया संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है. मच्छर के काटने की वजह से रोग बुखार, ठंड लगना और फ्लू जैसी बीमारी का कारण बनता है. अगर मरीज को जल्द इलाज नहीं मिलता है, तो बीमारी और फैल सकती है, और शख्स की जान तक जा सकती है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चे मलेरिया से प्रभावित होन वाले सबसे कमजोर समूह हैं.
मलेरिया की वजह से दुनियाभर में हर साल लगभग चार लाख से ज्यादा लोगों की जान जाती है. ऐसे में इस वैक्सीन के आने से दुनियाभर को बड़ी राहत मिलने वाली है.डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर दो मिनट में मलेरिया से दुनिया में किसी एक बच्चे की जान चली जाती है. मलेरिया के वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ कई टीके बाज़ारों मौजूद हैं, लेकिन यह पहली बार है जब डब्ल्यूएचओ ने मलेरिया वैक्सीन के व्यापक इस्तेमाल के लिए एक टीके की सिफारिश की है. ये दिन सच में बहुत खास है और आने वाले दिनों में इसका सकारात्मक असर पूरे विश्व में दिखाई देगा.
Share your comments