क्या आपने कभी सोचा है, 'कई प्रयासों और कड़ी मेहनत के बावजूद आप सफेद मक्खियों का सफलतापूर्वक प्रबंधन क्यों नहीं कर पाते हैं?
क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है कि नियंत्रण के लिए बार-बार दवाईयों का उपयोग करने के बाद भी आप अपनी फसलों को सफेद मक्खियों से होने वाले नुकसान से क्यों नहीं बचा पाते हैं?
क्या आप जानते हैं कि सफेद मक्खी के निम्फ बड़ों से ज्यादा नुकसान करते हैं? सफेद मक्खियों के कारण होने वाली फसल का 90-95% नुकसान निम्फ अर्थात अर्भकों/अवयस्कों के कारण होता है, वयस्क मक्खियों के कारण नहीं.
सफेद मक्खी जैसे कुख्यात कीट के प्रभावी और कुशल प्रबंधन के लिए उसके अर्भकों (निम्फ) को नियंत्रित करना बहुत ज़रूरी होता है. सफेद मक्खी की इस खतरनाक समस्या से निपटने के लिए ऐसे बेहतरीन कैमिकल का उपयोग करना चाहिए, जो कीट के जीवन के हर चरण को नियंत्रित करे. ऐसा ही एक कैमिकल बाजार में उपलब्ध है जिसका नाम है फ्लोनिकैमिड. फ्लोनिकैमिड एक अंतर-प्रवाही कीटनाशक है जो सफेद मक्खी की आहार नली को अवरुद्ध कर देता है, चाहे वह अपने जीवन की किसी भी अवस्था में हो. यह उपयोग के 30 मिनट के भीतर ही इस कीट की भोजन शक्ति पर असर डाल देता है.
फ्लोनिकैमिड, यूपीएल के जाने माने ब्रांड ‘उलाला’ के नाम से प्रख्यात और बाज़ार में उपलब्ध, सफेद मक्खी के हर नुकसानदायक चरण के सफल प्रबंधन के लिए एक असरदार समाधान है. इस मॉलेक्यूल के आंतरिक गुण वयस्कों की अंडे देने की क्षमता को भी कम कर देते हैं, जिससे बाद में कीटों की संख्या भी कम हो जाती है.
पिछले एक दशक से उलाला संपूर्ण भारत में कपास के लाखों किसानों के बीच सफ़ेद मक्खियों और अन्य रस-चूसक कीटों को नियंत्रित करने के लिए सबसे भरोसेमंद ब्रांड रहा है. उलाला अपने उपयोग के तुरंत बाद निम्फ्स को मार देता है जिससे इनकी वयस्क आबादी में बड़ी कमी आती है.
फज़िल्का के बेअंत सिंह को उलाला पर अत्यधिक विश्वास है और वे पिछले 5 वर्षों से लगातार इसका उपयोग कर रहे हैं. वे कहते हैं कि ''मैं अपनी फसल में हर साल दो बार उलाला का उपयोग करता हूं - एक बार बुवाई के 60 दिन बाद और फिर उसके 15 दिन बाद. उलाला से मुझे बेहतरीन क्रॉप स्टैंड मिलता है, कीटों का प्रकोप नहीं होता है और बॉल्स/टिंडे अच्छे धारण होते है.''
फज़िल्का के ही एक और उपयोगकर्ता करन कम्बोज उलाला के नतीजों से अत्यंत संतुष्ट हैं. वे पिछले 6 वर्षों से इसका छिड़काव कर रहे हैं. वे कहते हैं, ‘‘उलाला सफेद मक्खियों, माहू और तेला पर पूरा नियंत्रण देता है. किसानों को मेरी ये सलाह है कि वे अपने फसल चक्र में इसका दो बार उपयोग करें, जिससे उन्हें कीट मुक्त और भरपूर उपज मिल सके.’’
सिफारिश की गई मात्रा में उलाला का उपयोग करने से कपास की फसल को सफेद मक्खियों, माहू और तेला से लंबे समय तक असरदार ढंग से सुरक्षित रखा जा सकता है. फसल में बेहतर ढंग से फूल आएं और बीजाणु बनें, इस लिए उलाला फसल को स्वस्थ, हरी-भरी और फली-फूली बनाए रखता है.
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