भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के तत्वाधान में अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधानकर्ताओं की 59वीं कार्यशाला का ऑनलाइन आयोजन 26 अगस्त को हुआ. देश के विभिन्न क्षेत्रों से गेहूं और जौ वैज्ञानिकों ने इसमें हिस्सा लिया. 2019-20 के दौरान हुई प्रगति की समीक्षा करने और 2020-21 के लिए एक अनुसंधान गतिविधियों का खाका तैयार करने के लिए यह बैठक आयोजित की गई थी.
गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने प्रजाति की पहचान (Wheat and Barley Research Institute Karnal identified the species)
गौरतलब है कि इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. टीआर शर्मा, उप-महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने की और वही डॉ. हैंस ब्राउन निदेशक सम्मिट ग्लोबल व्हीट प्रोग्राम इस सत्र के सह-अध्यक्ष रहे. सबसे पहले डॉ. रवि पी. सिंह अध्यक्ष ग्लोबल व्हीट इंप्रूवमेंट सम्मिट ने भारतीय गेहूं सुधार कार्यक्रम में सम्मिट के नए शोध सहयोग-एक अंतर्दृष्टि विषय पर अपनी प्रस्तुति दी. अंतिम सत्र में डॉ. जीपी सिंह निदेशक गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने प्रजाति पहचान समिति वैराइटीज आईडेंटीफिकेशन कमेटी की बैठक की रिपोर्ट प्रस्तुत की.
12 प्रस्तावों पर विचार 11 को मिली मंजूरी (12 proposals considered 11 got approval)
समिति ने सभी 12 प्रस्तावों पर विचार किया और सर्वसम्मति से उनमें से 11 को मंजूरी दी. गेहूं की 10 और जौ की 1 किस्म की पहचान की गई.
गेहूं की 10 नई किस्में हुई विकसित
पहचानी गई गेहूं की किस्मों में शामिल हैं, उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के लिए एचडी 3298, डीबीडब्ल्यू 187 अगेती बुवाई-सिंचित, डीबीडब्ल्यू 303 अगेती बुवाई-सिंचित, डब्ल्यू एच 1270 अगेती बुवाई-सिंचित; उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र के लिए एचडी 3293 सीमित सिंचाई-समय से बुवाई, मध्य क्षेत्र के लिए, सीजी 1029 सिंचित-देर से बुवाई, एचआई 1634 सिंचित-देर से बुवाई, प्रायद्वीपीय क्षेत्र के लिए डीडीडब्ल्यू 48 (डी) सिंचित-समय से बुवाई, एचआई 1633 सिंचित-देर से बुवाई, एनआईडीडब्ल्यू 1149 (डी) सीमित सिंचाई- समय से बुवाई.
जौ की नई 1 किस्म हुई विकसित
इसके अलावा उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के लिए खेती के लिए एक माल्ट जौ किस्म डीडब्ल्यूआरबी 182 सिंचित-समय से बुवाई की पहचान की गई है.
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