लखनऊ-कानपुर और लखनऊ-गाजियाबाद हाई-वे की पहचान आने वाले दिनों में ग्रीन हाइवे के रूप में होगी. इस हाइवे से आपका सफर तो आसान होगा ही लेकिन हाई-वे की ख़ूबसूरती भी बढ़ेगी. अभी तो यह कदम पाल्यूशन के कंट्रोल के नजर से देखा जा रहा है.
सीएनजी का प्रयोग हाईवे पर चलने वालो वाहनों में किया जायेगा
मिली जानकारी के अनुसार हाइवे के किनारे किसान खेतो की पराली , कृषि वेस्ट, गोबर और फल मंडियों से निकले मलवे से बायोसीएनजी बनाईजाएगी. सबसे बड़ी बात तो यह है की सीएनजी का प्रयोग हाईवे पर चलने वाले वाहनों में किया जायेगा, यूपी राज्य जैव ऊर्जा विकास बोर्ड की टेक्नीकल मदद के सहारे सीएनजी कंपनियां बायो सीएनजी प्रोडक्शन इकाई लगाएंगी और उसकी बिक्री भी वही ही करेंगी.
किसानों की भी होगी हिस्सेदारी
इस ग्रीन हाइवे में किसानो की आय को दोगुनी करने का भी ख्याल रखा गया है. कृषि वेस्ट, पराली और गोबर आदि जो भी किसान देगा उसे पैसा भी दिया जायेगा. किसानो के साथ मिलकर एक कंपनी का गठन भी होगा. इस कंपनी के कमाई में किसानो की भी हिस्सेदारी होगी. कृषि वेस्ट, पराली और गोबर आदि से बनने वाली सीएनजी गैस लिए हाइवे के किनारे गैस प्लांट भी लगाए जायेंगे. इससे लखनऊ-कानपुर और लखनऊ-गाजियाबाद हाई-वे पर चलने वाले हाइवे को आसानी से सीएनजी उपलब्ध होगी.
कानपुर-लखनऊ हाई-वे किनारे लाखों हेक्टेअर कृषि की जमीन है जिसमे किसान किसानी करते हैं. एनजीटी के रोकने के बाद भी किसान खेतो में ही पराली और अन्य वेस्ट खेतो में ही जलाते है. जिसके धुएं से पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है, सर्दी के मौसम में इसका असर बहुतायत देखने को मिल जाता है.
मलवे के सड़ने से लोगो को होती है परेशानी
इसी तरह हर महीने मंडियों से हजारो टन कचरा है लेकिन उसका कोई भी सही उपयोग नहीं हो पता है. इसके अलावा यह कचरा सड़क पर ही सड़ता है तो इसकी सड़ने की बदबू से लोगो को बहुत ही परेशानी होती है. ठीक इसी प्रकार सट्टा संचालक गोबर को नालियों में फेक देते हैं जिससे सीवर लाइन चोक लेने लगती है. बरसात में इसकी समस्या बहुत ज्यादा देखने क मिलती है. अब तो इससे इस समस्या का भी समाधान हो जायेगा.
सीएनजी प्लांट के साथ फीलिंग स्टेशन भी लगेगा
बायो सीएनजी बनाने के लिए उन्नाव में प्लांट लगाया जायेगा. बोर्ड कानपुर-लखनऊ नेशनल हाईवे पर उन्नाव जिला मुख्यालय के नजदीकी यह प्लांट और फीलिंग स्टेशन भी लगेगा. इसके लिए जमीन का भी चयन हो चुका है. शासन में इस पर सहमति भी बन चुकी है. वहीं कुछ कंपनियों ने प्लांट लगाने की पहल की है और बोर्ड में आवेदन किया है.
किसनो को भी मिलेगा पैसा
सीएनजी प्लांट को लगाने वाली कंपनी किसानों के खेतों से कृषि वेस्ट से लेकर पराली और गोबर तक खुद ले जाएगी. नाबार्ड की योजना के तहत बोर्ड ने फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ताकि प्लांट संचालन के समय कचरा आसानी से उपलब्ध हो सके. बोर्ड के सलाहकार सदस्य पीएस ओझा ने जानकारी दी है कि किसानों की ऊपर, बंजर जमीन पर ही बायोमास के उत्पादन का लक्ष्य भी रखा गया है. प्लांट में जो खाद बनेगी वह किसानों को दी जाएगी. इसके बदले किसानों को पैसा भी दिया जाएगा.
प्रभाकर मिश्र, कृषि जागरण
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