
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और स्वच्छ ऊर्जा को गांव-गांव तक पहुंचाने के उद्देश्य से ‘सूर्य सखी योजना’ की शुरुआत की है. इस योजना के तहत एक लाख महिलाओं को ‘सूर्य सखी’ के रूप में प्रशिक्षित कर सौर ऊर्जा क्षेत्र में कार्य करने का अवसर दिया जाएगा. योजना का उद्देश्य है कि महिलाएं सौर पैनल की स्थापना, रखरखाव और मरम्मत जैसे कार्यों में दक्ष होकर अपना खुद का उद्यम शुरू करें और आत्मनिर्भर बनें.
यह पहल उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (UPSRLM) के सहयोग से चलाई जा रही है और इसका मुख्य फोकस है महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सशक्त करना, साथ ही ग्रामीण भारत में हर घर तक सौर ऊर्जा की पहुंच सुनिश्चित करना.
महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम
योगी सरकार की यह योजना ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण को एक साथ जोड़ती है. सरकार स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की महिलाओं को सौर ऊर्जा आधारित उपकरणों जैसे कि सोलर पैनल, एलईडी लाइटिंग, और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) चार्जिंग सिस्टम की स्थापना और संचालन से जोड़ रही है. इससे न केवल महिलाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि वे तकनीकी रूप से भी दक्ष बनेंगी.
‘सूर्य सखी’ बनने वाली महिलाओं को सरकार की ओर से तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें वे सौर उपकरणों की मरम्मत, स्थापना और उनके रखरखाव के तरीके सीखेंगी. इससे महिलाओं की आय में वृद्धि होगी और वे अपने समुदाय में एक मजबूत पहचान बना सकेंगी.
2030 तक एक लाख महिला-नेतृत्व वाले उद्यमों का लक्ष्य
राज्य सरकार ने इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2030 तक एक लाख महिला-नेतृत्व वाले विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा (DRE) उद्यम स्थापित करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए 27 अगस्त को "महिलाओं की मजबूत आर्थिक स्थिति के लिए विकेंद्रीकृत ऊर्जा" विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
इस कार्यक्रम के माध्यम से यूपी सरकार देश और विदेश के विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर रणनीति तैयार करेगी, ताकि सौर ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू किया जा सके. यह पहल विशेष रूप से उन इलाकों में क्रांतिकारी साबित हो सकती है, जहां अब भी पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता अधिक है.
DRE तकनीक और उसका महत्व
योजना के तहत अपनाई जा रही DRE (Decentralized Renewable Energy) तकनीक खासकर ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में ऊर्जा आपूर्ति के लिए बेहद उपयोगी है. DRE तकनीक ऑफ-ग्रिड और मिनी-ग्रिड समाधानों पर आधारित है, जिससे बिजली की निरंतर और विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित होती है, भले ही वह क्षेत्र मुख्य ग्रिड से जुड़ा न हो.
UPSRLM की निदेशक दीपा रंजन के अनुसार, DRE मॉडल के जरिए महिलाएं न केवल ऊर्जा की उपयोगकर्ता बनेंगी, बल्कि निर्माता और सेवा प्रदाता की भूमिका भी निभाएंगी. इससे ऊर्जा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व को बढ़ावा मिलेगा.
प्रमुख साझेदार संस्थाएं और रणनीतिक सहयोग
इस योजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से भागीदारी की है. UPSRLM ने PCI India, HSBC, Global Energy Alliance for People and Planet, Gates Foundation India, और Prerna Ojas जैसी संस्थाओं के साथ समझौता किया है.
ये साझेदार संस्थाएं योजना के संचालन, प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और तकनीकी परामर्श में सहयोग करेंगी. उत्तर प्रदेश के 20 जिलों में यह योजना प्रारंभिक चरण में लागू की जा रही है, जिसे बाद में पूरे राज्य में विस्तार दिया जाएगा.
समावेशी और सतत विकास की दिशा में प्रयास
‘सूर्य सखी’ योजना का उद्देश्य केवल सौर ऊर्जा का प्रचार-प्रसार ही नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समावेशन, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरणीय संरक्षण को भी साथ लेकर चलती है. यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर उन्हें समाज में निर्णायक भूमिका निभाने के योग्य बनाती है.
सरकार की यह पहल न सिर्फ स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि यह ग्रामीण भारत की महिलाओं को मुख्यधारा में लाने का माध्यम भी है. आने वाले वर्षों में यह योजना महिला उद्यमिता, ऊर्जा आत्मनिर्भरता और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकती है.
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