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रबर बोर्ड कॉल सेंटर में बेमिसाल सेवा, तकनीकी एवं प्रबंधन का अनोखा तालमेल

रबर बोर्ड ने रबर उत्पादन के लिए किसानों के लिए सहायता हेतु कॉल सेंटर के जरिए उनकी समस्यायें सुलझाने का काम किया है। जानकारी हो कि बोर्ड ने उच्च तकनीकी द्वारा उत्पादन एवं समुचित खाद प्रबंधन की तकनीकों के लिए ये कॉल सेंटर की शुरुआत की है। दिन प्रतिदिन रबर का उत्पादन देश में बढ़ता जा रहा है। विदेशों में भी भारत में उत्पादित रबर निर्यात किया जाता है। साथ ही विदेशी कंपनियों द्वारा देश में चमड़ा उद्दोग के फलने फूलने के लिए रबर की मांद दिन दूने रात चैगुनी हो रही है।

रबर बोर्ड ने रबर उत्पादन के लिए किसानों के लिए सहायता हेतु कॉल सेंटर के जरिए उनकी समस्यायें सुलझाने का काम किया है। जानकारी हो कि बोर्ड ने उच्च तकनीकी द्वारा उत्पादन एवं समुचित खाद प्रबंधन की तकनीकों के लिए ये कॉल सेंटर की शुरुआत की है। दिन प्रतिदिन रबर का उत्पादन देश में बढ़ता जा रहा है। विदेशों में भी भारत में उत्पादित रबर निर्यात किया जाता है। साथ ही विदेशी कंपनियों द्वारा देश में चमड़ा उद्दोग के फलने फूलने के लिए रबर की मांद दिन दूने रात चैगुनी हो रही है।

रबर बोर्ड ने इस उद्देश्य से काफी सराहनीय कार्य शुरु किया है। ऐसा शायद किसी बोर्ड ने पहले शुरुआत नहीं की। दरअसल आप बोर्ड के एक हैल्पलाइन नं  0481 - 2576622 पर कॉल करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ये जानकारी कोई साधारण तौर पर नहीं दी जा रही है। खास बात है कि रिमोट सेंसर के जरिए खेती वाली जमीन के अनुसार उत्पादन व सही उर्वरकों व मात्रा का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाएगी। इस सहायता हितार्थ रबर इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक डॉ. जोसुहा जोसेफ किसानों की समस्याओं पर आधारित सवालों के जवाब दिए।

रबर मृदा सूचना सिस्टम के द्वारा ये सब संभव हुआ है। यह भारतीय रबर अनुसंधान केंद्र और भारतीय सूचना तकनीकी एवं प्रबंदन संस्थान केरल व राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण ब्यूरो  के साझा प्रयास से स्थापित किया गया है। इसरो एवं रिमोट सेंसिंग के जरिए रबर उत्पादकों का डेटाबेस भी एकत्र किया जाएगा।

भारत में रबर का उत्पादन में पिछले कुछ सत्रों में काफी वृद्धि हुई है। साथ ही रबर के निर्यात में भी इजाफा हुआ है। यहीं नहीं रबर के रकबे में भी अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली है। आंकड़ो के अनुसार रबर के रकबा कुल 8,20,000 हैक्टेयर तक जा पहुंचा है। इसके साथ-साथ उत्पादन 6,91,000 टन तक है। जिसके फलस्वरूप रबर के निर्यात लंबी छलांग लगाते हुए 20,920 टन पर जा पहुंचा है। अगर बात रबर के प्रति हैक्टेयर उत्पादन की जाए तो पिछले सत्र की अपेक्षा बढ़ते हुए 1553 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर हो गई है। ऐसे में रबर उत्पादन में भारी सफलता देखने को मिली है। जिसके मद्देनज़र सरकार व बोर्ड भी
उत्पादकों की हरसंभव मदद के लिए तत्पर है।

रबर वुड से प्लास्टिक, कम्पोसाइट्स, बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। यदि बात आधुनिक दौर में व्यवसायिक खेती की करें तो रबर उत्पादन काफी फायदेवर है। समय-समय पर रबर उत्पादन में तकनीकी एवं अनुसंधान द्वारा इसके उत्पादन को सुगम बनाया गया है।

English Summary: Unique service, technical and management integration with rubber board call center Published on: 27 October 2017, 09:59 AM IST

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