गोभीवर्गीय फसलों में पौधशाला से लेकर फसल की परिपक्वता तक दर्जन भर से अधिक कीटों तथा रोगों का संक्रमण होता है जिनकी रोकथाम के लिए कृषकों के स्तर पर अनेकों घातक रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है. इन सभी पहलुओं का ध्यान में रखते हुए गुरुग्राम के बागवानी अधिकारियों तथा प्रक्षेत्र सहायकों को समन्वित कीट प्रबंधन तकनीकों के तहत इन सभी समस्याओं के उचित प्रबंधन, पर्यावरण हितैषी तकनीक, फसलों की उन्नतशील प्रजातियों के चयन, समय पर फसलों के रोपण, वानस्पतिक व जैविक कीटनाशकों के प्राथमिकता के आधार पर प्रयोग विधि पर विस्तृत जानकारी दी गई.
केंद्र के कीट वैज्ञानिक डॉ. भरत सिंह ने शोध के आधार पर वैज्ञानिक तकनीक के तहत समन्वित कीट प्रबंधन की जानकारी को कृषक स्तर पर पहुंचने के लिए सभी प्रक्षेत्र अधिकारियों का आह्वान किया जिसमें कि उपभोक्ताओं तक उच्च गुणवत्ता यानी कीटनाशकों की विषाक्तता रहित सब्जियां उपलब्ध हो सके. केंद्र की अध्यक्षता डॉ अनामिका शर्मा ने अपने तकनीकी व्याख्यान के दौरान प्रशिक्षणर्थियों को बताया कि समन्वित कीट प्रबंधन तकनीक के समावेश से कीटों के सही प्रबंधन के साथ-साथ फसलों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है साथ ही फसल लागत कम होने से शुद्ध आमदनी में वृद्धि होती है.
इस दौरान केंद्र के अन्य विशेषज्ञों डॉ. मंजीत, रामसेवक एवं कृष्ण कुमार ने इन फसलों पर मौसम के प्रभाव एवं फसल प्रबंधन तथा उत्पादन तकनीकों के बारे में जानकारी दी. प्रशिक्षण के सफल आयोजन पर केंद्र के कृषि विस्तार विशेषज्ञ डॉ. गौरव पपनै ने इस प्रशिक्षण में भाग ले रहे सभी प्रशिक्षणर्थियों का धन्यवाद किया तथा केंद्र सभी वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों के प्रति आभार प्रकट किया.
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