पंतनगर विष्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के सस्य विज्ञान विभाग में स्थित उच्च अध्ययन केन्द्र, में ‘समगतिषीलता के लिए पारिस्थितिक कृषि’ विषय पर 21-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कुलसचिव एवं अधिष्ठाता स्नातकोत्तर, डा. एन.एस. मूर्ति, ने कहा कि एकल फसल के निरन्तर लिए जाने से पारिस्थितिक विविधता की क्षति हुई है जिस कारण जलवायु परिवर्तन भी काफी तीव्र गति से हुआ। उन्होंने कहा कि अंधाधुन्ध कीट, रोग एवं खरपतवारनाषियों के प्रयोग से भी पारिस्थितिक विविधता की क्षति हुई है। इसलिए समय की मांग है कि पारिस्थितिक जैव विविधता संरक्षण पर जोर दिया जाय।
उन्होंने प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय के विषय में जानकारी उपलब्ध कराते हुए बताया कि यह विश्वविद्यालय 10 हजार एकड़ भूमि में फैला है तथा इसके 8 महाविद्यालयों में 125 स्नातकोत्तर तथा 16 स्नातक पाठ्यक्रमों का संचालन हो रहा है, जहां पठन-पाठन के साथ-साथ शोध प्रषिक्षण एवं प्रचार-प्रसार का कार्यक्रम भी निरन्तर सम्पादित होता रहता है। कुलसचिव ने कहा कि विश्वविद्यालय के अंतर्गत विभिन्न इकाईयों में शोध केन्द्र होने के कारण शोध के लिए अनुकूल वातावरण है।
संयुक्त निदेशक शोध, डा. रमेश चन्द्र, ने इस अवसर पर कहा कि पारिस्थितिक कृषि के बारे में विस्तृत रूप से विचार करने का यह अति उत्तम समय है, क्योंकि गत वर्षों में पारिस्थितिक समस्याएं अति तीव्र गति से बढी है, जैसे कि भू-जल स्तर एवं उसकी गुणवत्ता में गिरावट के साथ-साथ ऊर्जा उपयोगी क्षमता में भी निरन्तर कमी आ रही है। उन्होंने आषा प्रकट की कि इस प्रषिक्षण से अनुभव प्राप्त कर प्रतिभागी सही दिषा में कृषि अनुकूल शोध कार्यक्रम अपनाकर उत्तम गुणवत्ता हेतु कृषि तकनीकी का विकास कर सकेंगे, जिससे कृषक लाभान्वित होंगे।
इस अवसर पर निदेशक, संकाय उच्च अध्ययन केन्द्र, सस्य विज्ञान विभाग, एवं अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, डा. डी.एस. पाण्डे, ने सभी सदस्यों का स्वागत करते हुए बताया कि विभाग में अब तक 847 एम.एससी. तथा 271 पीएच.डी. विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की जा चुकी है। डा. पाण्डे ने बताया कि इस 35वें प्रषिक्षण कार्यक्रम में देश भर के 8 राज्यों से 24 प्रतिभागियों को प्रषिक्षण हेतु चयनित किया गया है, जिनमें 8 मध्य प्रदेश से, 4 उत्तराखण्ड से, 2-2 तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेष से व 1-1 राजस्थान एवं पष्चिम बंगाल से चयनित किये गये हैं।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में प्रशिक्षण समन्वयक, डा. वी.के. शाह, ने अतिथियों, वैज्ञानिकों, प्रतिभागियों तथा सभागार में उपस्थित अन्य जनों का स्वागत किया तथा अंत में प्रषिक्षण सह-समन्वयक, डा. अजय कुमार ने सभागार में उपस्थित सभी कर्मचारियों, विद्यार्थियों तथा मीडिया प्रतिनिधियों को धन्यवाद दिया।
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