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आज किसान दिवस (Farmers Day) है. किसान दिवस 2019 भारत के 5वें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है. 23 दिसम्बर को जन्में चौधरी चरण सिंह ने किसानों के लिए कई सराहनीय काम कर उन्हें खेती के क्षेत्र में प्रोत्साहित किया. उन्होंने उस समय भारतीय किसानों की स्थिति को समझा और उसे बेहतर बनाने की दिशा में काम किया. इस Farmers Day 2019 के मौके पर आज हम आपको कुछ ऐसे ही 5 सफल किसानों के बारे में बताने जा रहे हैं. जिन्होंने खेती में अपनी अलग पहचान बनायी है. ये किसान देश के अलग-अलग जगह से हैं और अपने क्षेत्र में उन्नत खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. ऐसे में ये किसान दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणादायी बन रहे हैं और उन्हें सफल खेती के गुण सिखा रहे हैं. आइये जानते हैं इन प्रगतिशील किसानों के बारे में-
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'मैं खुद चुकाऊंगा लोन, मुझे नहीं चाहिए कर्जमाफ़ी'
उत्तर प्रदेश में कुशीनगर जिले के पृथ्वीपुर गांव में रहने वाले नागा कुशवाहा एक स्वाभीमानी किसान हैं. उन्होंने खेती करने के लिए 'पूर्वांचल ग्रामीण बैंक' की दुदही शाखा से 'किसान क्रेडिट कार्ड' (Kisan Credit Card) पर कर्ज लिया था जिसका 1 लाख 6 हजार रुपये बकाया था. यह रकम यूपी की योगी सरकार की कर्जमाफी योजना के दायरे में आ रही थी. इसके बावजूद किसान ने कर्जमाफी योजना का लाभ नहीं लिया. बाद में इस सम्बन्ध में उन्होंने अपने बैंक को एक पत्र लिखा और किसी तरह स्वयं ही अपना पूरा क़र्ज़ चुकाया. दरअसल इस फैसले के पीछे उनकी यह सोच थी कि कर्ज माफ करवाने के बाद सरकार किसी न किसी रूप में उनसे पैसे ले ही लेगी. ऐसे में अगर कर्ज चुकाकर बैंक में क्रेडिट ठीक रखा जाए तो ज़रूरत पड़ने पर बैंक खुशी-खुशी भविष्य में भी पैसा दे सकता है. तमकुहीराज तहसील के दुदही ब्लॉक के निवासी कुशवाहा के पास खेती के लिए पृथ्वीपुर, विशुनपुर बारिया पट्टी और मठिया भोकरीया गांव की ज़मीन हैं. उनके पास तीन बीघा खेत है जिसमें वह गन्ना और हल्दी की खेती करते हैं.
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‘राष्ट्रीय युवा पुरस्कार' से सम्मानित हैं मुस्लिम चौहान
हरियाणा करनाल, घरौंडा जिले के गढ़ी भरल गांव के रहने वाले मुस्लिम चौहान को खेती के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए साल 2012 में 'राष्ट्रीय युवा पुरस्कार' से सम्मानित किया जा चुका है. चौहान ने सामाजिक क्षेत्र में ब्लड डोनेशन कैम्प लगाए और खेती क्षेत्र में पौधारोपण और बाकी पर्यावरण संबंधी सराहनीय काम किये हैं. चौहान फूलों की खेती कर रहे हैं. आधुनिक खेती तकनीक का इस्तेमाल कर चौहान अच्छा मुनाफ़ा कमाकर आज एक सफल किसान बन चुके हैं. 'बैचलर ऑफ सोशल वर्क' से स्नातक चौहान के मुताबिक ये पिछले 8 साल से धान, गेहूं, खीरा और धनिया की खेती कर रहे थे. कुछ समय बाद इसमें कुछ खास मुनाफा न पाकर चौहान ने फूलों की खेती की शुरुआत की. अच्छे उत्पादन के बाद उन्होंने इसे जारी रखा और अब वे 3 एकड़ भूमि पर गेंदा फूल की खेती कर रहे हैं.
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जैविक खेती से जोड़ा नाता, प्याज की नर्सरी और बीज स्वयं करते हैं तैयार
प्रगतिशील किसान सत्यवान ने जैविक खेती को अपनाया और अपनी मेहनत से अच्छा मुनाफा कमाकर बाकी किसानों के लिए मिसाल कायम की है. दिल्ली के दरियापुर कला गांव के सत्यवान प्याज और मटर की उन्नत खेती कर रहे हैं. ख़ास बात यह है कि सत्यवान प्याज की खेती के लिए नर्सरी और बीज स्वयं ही तैयार करते हैं. प्याज की नर्सरी के लिए वो बेड मेकर मशीन का इस्तेमाल करते हैं. ये रासायनिक खेती छोड़कर जैविक विधि अपनाने के साथ ही आधुनिक कृषि यंत्रों का भी उपयोग अपनी खेती में करते हैं. मटर और प्याज की सिंचाई के लिए उन्होंने ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि को अपना रखा है.
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40 जिलों में यात्रा के बाद इकट्ठा की 200 देसी बीज की प्रजातियां
बाबूलाल दहिया को साल 2019 में भारत सरकार ने ‘पद्मश्री पुरस्कार’ से सम्मानित किया है. मध्यप्रदेश के रहने वाले बाबूलाल दहिया के पास धान के साथ लगभग 200 देसी बीज की किस्में हैं. आपको बता दें कि बीजों को इकट्ठा करने के लिए इन्होंने राज्य के 40 जिलों में यात्रा की है. राज्य के सतना जिले से 12 किलोमीटर दूर पिथौराबाद गांव के निवासी बाबूलाल के पास इससे पहले देसी बीज की केवल तीन ही किस्में थी. इनका कहना है कि देसी बीज के बारे में जहां भी इन्हें कोई खबर मिलती है, ये वह मौका नहीं छोड़ते हैं. बाबूलाल किसानों को बीज के बदले बीज देते हैं. साथ ही 5/5 के भूखंड में देसी बीज बोते हैं. इस तरह हर साल इनके पास एक नई किस्म होती है. इनके पास कुटकी, सावां, कोदों, मक्का की भी कई किस्में है.
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10वीं पास राजपुरोहित अनार से सालाना कमाते हैं 28 लाख रुपये
हस्तीमल राजपुरोहित के पास कोई डिग्री नहीं है, केवल 10वीं तक पही पढ़े हैं लेकिन कमाई के मामले में मल्टीनेशनल कम्पनियों के अधिकारियों को भी पछाड़ चुके हैं. राजस्थान स्थित इटवाया-पादरू गांव के राजपुरोहित ने 2014 से अनार की बागवानी शुरू की थी और पहले ही उत्पादन से 28 लाख सालाना की कमाई की. ये इससे पहले परम्परागत फसलों की खेती से सालाना केवल ढाई से तीन लाख रूपये ही कमा पाते थे. बाद मे अधिक मुनाफे के लिए अनार की खेती का रुख़ किया. उनके पास 100 एकड़ जमीन है. शुरूआत में दो हैक्टयर क्षेत्र में बगीचा लगाया था जिसमें लगभग 1500 पौधे थे. अच्छे उत्पादन और मुनाफे को देखते हुए राजपुरोहित ने इसे जारी रखा और 25 एकड़ जमीन उन्होंने केवल अनार की खेती के नाम ही कर दी. इस समय उनके पास लगभग 6 हजार अनार के पौधे हैं.
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