केंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानूनों के विरोध में गहलोत सरकार द्वारा विधानसभा में पारित किए गए तीन नए कृषि विधायकों को लेकर शक्ति और सत्ता के बीच टकराव की स्थिति पैदा होती नजर आ रही है. इसकी वजह यह है कि राजस्थान के राज्यपाल ने राज्य सरकार द्वारा पारित इन विधेयकों पर अभी तक कोई विचार नहीं किया है. हाल में ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नए कृषि कानूनों पर स्थिति स्पष्ट करने की बात भी कही थी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि पिछले महीने राज्य विधानसभा में केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में पारित किए गए संशोधन विधेयकों को राजभवन में रोक कर रखा गया है उन्होंने कहा कि ना तो इन बिलों को लौटाया जा रहा है और ना ही राष्ट्रपति के पास उनकी सहमति लेने के लिए भेजा जा रहा है.
ये है संवैधानिक नियम (These are constitutional rule)
कोई विधेयक राज्य की विधानसभा द्वारा पारित होने के बाद राज्यपाल के सामने प्रस्तुत किया जाता है. राज्यपाल ही विधेयक पर अनुमति देते हैं या अनुमति नहीं देते हैं. इसके अलावा किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए भी भेजा जा सकता है. यदि राज्यपाल विधेयक को फिर से कुछ बिन्दुओं पर पुनर्विचार के लिए लौटा देते हैं तो सदन विधेयक पर पुनर्विचार करते है और सदन द्वारा संशोधन सहित या उसके बिना संसोधन के फिर से पारित कर दिया जाता है. इसके बाद फिर से राज्यपाल के सामने अनुमति के लिए प्रस्तुत किया जाता है तो राज्यपाल उस पर अनुमति दे देते है या राष्ट्रपति के विचार के लिए भेज देते है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कैबिनेट सदस्यों ने दिया धरना (Chief Minister Ashok Gehlot including Cabinet members strike)
राज्यपाल पर दबाव बनाने के लिए शहीद स्मारक पर धरना प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित कैबिनेट सदस्य और कांग्रेस पदाधिकारी धरने पर मौजूद थे.
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