औषधीय पौधों की खेती का प्रचालन तेजी से बढ़ता जा रहा है. इसका कारण किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है. ऐसे में किसान औषधीय खेती की और आकर्षित हो रहे हैं. ऐसे में देहरादून के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विश्वविद्यालय (यूपीईएस) ने एक महत्वपूर्ण पहल की है. इस विश्वविद्यालय ने अपने आसपास के गांव की महिलाओं को औषधीय पेड़ों की खेती और उनके उत्पादों का विपणन कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा के लिए कदम उठाये है. इस कार्यक्रम के दौरान 70 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया.
यूपीईएस इन महिलाओं को औषधीय पौधों की पहचान और खेती करने में प्रशिक्षण के साथ साथ अन्य मदद भी कर रहा है। इसके लिए इन महिलाओं को औषधीय पौधों की खेती का प्रशिक्षण दिया गया क्योंकि इस क्षेत्र में औषधीय पौधों का प्रसंस्करण का काम करने वाली बहुत सी कंपनिया हैं.
इन महिला किसानों को विश्वविद्यालय विभिन्न प्रकार से मदद पहुंचाता है इसमें उनको कृषि सम्बन्धी उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं.
यह सब गतिविधियाँ विश्वविद्यालय सीएसआर के तहत करता है. पिछले तीन वर्षो के दौरान अभी तक करीब 70 महिलाओं को इसके लिए जरुरी प्रशिक्षण दिया गया है. इनमें से लगभग 20 महिलाओं ने अपना खेती करनी शुरू कर दी है. इसी के साथ वह अपने उत्पादों को बाजार में बेचना शुरू कर दिया है. इस ये महिलाए उद्यमिता की और बढ़ रही है. खेती के अलावा इन महिलाओं को छोटे-छोटे उत्पाद जैसे दिए बनाना, पेन्सिल बनाना जैसे कामों से आसानी अच्छी कमाई हो जाती है.
-इमरान खान
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