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अमृतपाल ने किसान नेताओं की बढ़ाई चिंता, एकता को तोड़ने की कोशिश

किसानों को अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) की अचानक से इतना प्रसिद्ध होने के पीछे एक साजिश लग रही है. उनका मानना है कि यह कृषि कानून (Agriculture law) के खिलाफ चल रहे विरोध में उनकी एकता को कमजोर करने के प्रयासों को लेकर किया जा रहा है. जिसके चलते किसानों के बीच एक डर का माहौल भी बना हुआ है.

लोकेश निरवाल
किसानों के बीच डर का माहौल
किसानों के बीच डर का माहौल
इन दिनों अमृतपाल सिंह खबरों की सुर्खियों में बना हुआ है. जैसा कि आप जानते हैं कि अमृतपाल सिंह पुलिस को कई दिनों से चकमा दे रहा है. अभी तक इसके पकड़ें जाने को लेकर किसी भी तरह की कोई खबर नहीं मिली है. कुछ लोगों का यह मानना है कि अमृतपाल सिंह के तेजी से प्रमुखता में वृद्धि के पीछे एक साजिश है, जब पंजाब पुलिस उन्हें खोज रही है. तो इस बीच यह भी बताया जा रहा है कि दो राज्यों के किसान जो पहले तीन कृषि कानूनों (three Agricultural laws) के खिलाफ एक साल के लंबे संघर्ष के साथ एकजुट हुए थे, उनका दावा है कि राजनीतिक लाभ के अलावा उनके सहयोग को कम करने के प्रयास भी हो सकते हैं.

जींद के किसान नेता आजाद सिंह पलवा पूरी स्थिति को महज एक साजिश मानते हैं. बता दें कि कई किसान भाई अपनी स्थानीय मांगों के समर्थन में उचाना (जींद) में धरने पर बैठे हैं. इस दौरान तीन कृषि कानूनों के विरोध में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले किसान पलवा ने कहा, "यह कोई समस्या नहीं है, फिर भी इस पर बहुत ध्यान दिया गया. इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया. यह केवल संघर्ष पैदा करने और पंजाब की शांति को भंग करने के लिए किया गया था. ऐसा लगता है कि इस पूरे खेल की कोई राजनीतिक प्रेरणा है.'

किसान नेता ने कहा, "हम इस तरह के घटनाक्रमों के बारे में चिंतित हैं, भले ही हाल की बारिश और ओलावृष्टि से हमारी फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा है. लेकिन इसके बाद भी हम कई मुद्दों से लड़ रहे हैं." साथ ही किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अपनी सरसों की फसल बेचने में कई तरह की कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है.

हिसार के किसान कार्यकर्ता सुरेश कोठ का मानना ​​है कि अमृतपाल सिंह की चढ़ाई के लिए "एजेंसियां" जिम्मेदार थी. अखिल भारतीय किसान मजदूर यूनियन के अध्यक्ष कोठ ने कहा, "इसमें उन राजनीतिक समूहों की भूमिका हो सकती है, जो पंजाब में कोई राजनीतिक समर्थन पाने में विफल रहे हैं."

इसके अतिरिक्त, ऐसे धार्मिक या जाति-आधारित विकास अनिवार्य रूप से किसानों और मजदूरों के आंदोलनों में बाधा डालते हैं. ऐसी स्थितियों में किसानों और श्रमिकों को घटकों के बारे में पता होना चाहिए ताकि वे उनसे सफलतापूर्वक निपट सकें.

ये भी पढ़ें: पंजाब पुलिस ने अमृतपाल की जारी की 7 तस्वीरें, लगातार रूप बदल रहा भगौड़ा

सुरेश कोठ ने कहा, ''विरोधियों द्वारा हमें बांटने की तमाम कोशिशों के बावजूद पंजाब और हरियाणा के किसान किसान आंदोलन के दौरान एकजुट रहे. हरियाणा में जब भी पंजाबी किसानों का काफिला आता था, स्थानीय लोग उनका अभिवादन करते थे और हर प्रकार की सहायता करते थे. दूसरी ओर, हमें गुरुद्वारों से प्रदर्शनकारी किसानों के लिए चल रहे भोजन के प्रावधान को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

English Summary: The rise of Amritpal increased the concern of farmer leaders, trying to break the unity (1) Published on: 29 March 2023, 01:57 PM IST

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