पिछले कुछ दिनों से सरसों के तेल के दाम अपने चरम पर पहुंचने पर आमादा हो चुके थे, जिसकी वजह से आम जनता बेहाल हो चुकी थी, लेकिन अब माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सरसों तेल की कीमतों में गिरावट आएगी, जिससे आम जनता को बड़ी राहत मिलने की संभावना जताई जा रही है. वजह साफ है कि सरसों की कीमत में बड़ी गिरावट आई है. बीते दिनों केंद्र सरकार ने भी सरसों की तेल की कीमतों में आने वाले आयात शुल्क में इजाफा किया है, जिसका सीधा असर सरसों की कीमतों में प़ड़ता हुआ दिख रहा है. वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से सोयाबिन और डीगम के आयात शुल्क में 160 रूपए की वृद्धि की गई है.
‘मांग’ भी है बड़ा कारण
यहां हम आपको बताते चले कि मांग कम होने की वजह से भी सरसों के तेल की कीमतों में कमी दर्ज की गई है. ऐसा देखा जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से सरसों के तेल की कीमतों इजाफे की वजह से इसकी मांग में एकाएक कमी आ गई थी, जिसके बाद से अब माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सरसों के तेल की कीमत में कमी दर्ज की जाएगी, लेकिन अब सरकार की तरफ से सरसों का आयात शुल्क भी बढ़ा दिया गया है, जिसकी वजह से इनकी कीमत में एकाएक कमी आ गई है.
इसके साथ ही तेल, तिलहन व सोयाबिन की कीमतों में भी नरमी देखी जा रही है. वहीं, आयात शुल्क को बढ़ाए जाने के बाद से सोयाबिन और डीगम के भाव 14,400 रुपये से बढ़कर 14,450 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया. सरसों तिलहन के भाव 50 रुपये गिरकर 7,540 – 7,590 के बीच रहे. वहीं, सरसों तेल दादरी में भी 200 रुपये की गिरावट दर्ज की गई. सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल के दाम भी क्रमशः 30, 30 रुपये कम हुए.
अर्थव्यवस्था भी होगी मजबूत
वहीं, तेल की कीमतों में आई इस उथल-पुथल के बाद से ऐसा माना जा रहा है कि किसानों की आय में वृद्धि होगी, चूंकि आयात शुल्क कम किए जाने की वजह से एक तरफ जहां विदेशी मुद्रा की बचत होगी, तो वहीं किसानों की आय में भी इजाफा दर्ज किया जाएगा.
उधर, तिलहन के दाम के इतर मूंगफली की मांग में भी आने वाले दिनों में इजाफा दर्ज किया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की आय में इजाफा होने की संभावना जताई जा रही है.
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