राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस समारोह में भाग लिया।इस अवसर पर राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय विकास किसी भी देश की सफलता की कुंजी है। भारत मूलभूत अनुसंधान के क्षेत्र में एक शीर्ष रैंकिंग वाला देश है। भारतीय विज्ञान प्रगति हासिल कर आज ज्ञान के सबसे शक्तिशाली माध्यमों से एक बन गया है। फिर भी आर्थिक विकास की नई मांगों के बाद आज यह आवश्यक हो गया है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का बुनियादी ढांचे, कृषि, स्वास्थ्य, संचार एवं शिक्षा जैसे सभी क्षेत्रों में विकास आवश्यकताओं के रूप में रूपांतरण आरंभ किया जाए।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि संपन्न एवं विपन्न वर्गों, शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बीच विषमता, एवं कुछ विशेष समूहों का बहिष्करण एवं सीमांतीकरण सामाजिक अराजकता को जन्म दे सकता है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि अधिक से अधिक प्रौद्योगिकीय नवोन्मेषणों का उपयोग इन विषमताओं एवं अंतरों को पाटने की दिशा में किया जाये। वैश्विक उत्कृष्टता हासिल करने की हमारी कोशिश में एक भी नागरिक पीछे नहीं छूटना चाहिए। सतत एवं समावेशी विकास के लिए प्रौद्योगिकी आज की महती आवश्यकता है।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि भारत समृद्ध विविधता का एक देश है और असाधारण प्रतिभा सुदूर के क्षेत्रों तथा छोटे से छोटे गांव में भी छुपी हुई है। ऐसी संभावनाओं की भी पहचान करने तथा उनका पोषण किये जाने की आवश्यकता है।
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