राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने अंतर्राष्ट्रीय सैन्य औषधि समिति (आईसीएमएम) की 42वीं विश्व कांग्रेस के समापन समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि लगभग एक सदी से आईसीएमएम पूरी दुनिया में सैन्य औषधि के क्षेत्र में शानदार काम कर रहा है। अपने क्षेत्रीय और विश्व कांग्रेस के जरिये आईसीएमएम आदान-प्रदान और अर्थ पूर्ण सीख के लिए एक वैश्विक मंच उपलब्ध कराता है।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि सैन्य सेवा सेना के लिए एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है। भारतीय सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा न केवल सशस्त्र सेनाओं को शानदार चिकित्सा सुविधा प्रदान करता है, बल्कि शांति और युद्ध काल में पूरे राष्ट्र की सेवा करता है। सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा रोकथाम, उपचार और पुनर्वास के कामों में लगा है तथा सेवारत सैनिकों और उनके परिजनों के साथ पूर्व सैनिकों को भी चिकित्सा सेवा प्रदान करता है।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि इस वर्ष के विश्व कांग्रेस की विषयवस्तु ‘मिलिट्री मेडिसिन इन ट्रांजिशन’ बहुत उपयुक्त है। इसमें चिकित्सा विज्ञान से संबंधित बदलते परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए विचार-विमर्श किया गया।
प्रशिक्षण और अनुसंधान पर ध्यान रखने के कांग्रेस के प्रयासों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि विश्व के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए यह जरूरी है कि हम औषधि के दो पक्षों, यानी प्रशिक्षण और चिकित्सा अनुसंधान पर बल दें।
लड़ाकू सिपाही के तौर पर महिलाओं की भूमिका पर आयोजित विशेष पैनल चर्चा का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि मैं सशस्त्र बलों की बहादुर महिलाओं के हवाले से कहना चाहता हूं कि वर्दी में सुसज्जित महिलाएं हर तरह की भूमिका के लिए सशस्त्र बलों का महत्वपूर्ण अंग हैं। अब अधिक से अधिक देश महिलाओं को बड़ी से बड़ी जिम्मेदारियां देने के लिए आगे आ रहे हैं। भारत में भी महिलाएं सशस्त्र बलों में शामिल होकर देश की सेवा कर रही हैं। राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि महिलाएं भारतीय सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा में मेडिकल, डेन्टल और नर्सिंग अधिकारियों के तौर पर स्वतंत्रता के बाद से ही हिस्सा लेती रही हैं। उन्होंने अत्यन्त कठिन परिस्थितियों में भी शानदार काम किया है।
समापन समारोह को सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा के महानिदेशक ले.जन. बिपिन पुरी ने भी संबोधित किया। सम्मेलन में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी.एस.धनोवा सहित अन्य विशिष्टजन भी उपस्थित थे।
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