देश में एक तरफ चुनाव का मौसम है, तो वहीं दूसरी तरफ पेट्रोल, डीज़ल और अन्य खाद्य सामानों में गज़ब की महंगाई छाई हुई है. बात अगर टमाटर की करें तो मौसम होने के बावजूद टमाटर की कीमतों में आग लगा हुआ है.
टमाटर अपनी बढ़ती कीमतों (Tomato price) की वजह से लगातार सुर्खियां बटोरता नज़र आ रहा है. आपको बता दें कि कैसे देश में बढ़ती प्याज की कीमतों ने सत्ता परिवर्तन तक करवा दिया था.
इस बात की गंभीरता और समय की नज़ाकत को समझ रही भारतीय जनता पार्टी ने देश की जनता के लिए बढ़ती महंगाई को रोकने का ऐलान किया है. ऐसे में सरकार ने शुक्रवार को कहा कि देश के उत्तरी राज्यों से टमाटर की नई फसल (new tomato crop) की आवक के साथ दिसंबर से इसके भाव नरम पड़ने की उम्मीद है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, टमाटर का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य (All India Average Retail Price of Tomato) बेमौसम बारिश के चलते पिछले साल के मुकाबले 63 प्रतिशत बढ़कर 67 रुपये प्रति किलो होने के साथ सरकार का यह बयान आया है. वहीं प्याज के मामले में, खुदरा कीमतें वर्ष 2020 और वर्ष 2019 के स्तर से काफी नीचे आ गई हैं.
दिसंबर में कम हो सकता है प्याज़ का क़ीमत
खबरों के मुताबिक, खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (Ministry of Food and Consumer Affairs) ने कहा कि देश के उत्तरी राज्यों से टमाटर की आवक दिसंबर की शुरुआत से ही शुरू हो जाएगी. जिसके बाद उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों में गिरावट आएगी. दिसंबर में आवक पिछले साल के बराबर रहने की उम्मीद है. इस साल नवंबर में आवक 19.62 लाख टन थी, जो एक साल पहले की समान अवधि में 21.32 लाख टन थी.
टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी के वजह से आम जनता से लेकर सरकारें तक परेशान हैं. आम जनता के जेब पर जहाँ अतिरिक्त भार पर रहा है, तो वहीं सरकार सत्ता खोने के डर से परेशान है. इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए, मंत्रालय ने कहा कि पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में बेमौसम बारिश के चलते सितंबर के आखिर से टमाटर की खुदरा कीमतें बढ़ी हैं. बारिश की वजह से टमाटर की फसल को नुकसान हुआ और इन राज्यों से आने में देरी हुई. बयान में कहा गया है कि उत्तर भारतीय राज्यों से देरी से आवक के बाद तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में भारी बारिश हुई, जिससे आपूर्ति बाधित हुई और फसल को भी नुकसान हुआ.
बारिश से फसल को हुआ नुकसान
मंत्रालय ने कहा कि टमाटर की कीमत बहुत अस्थिर है. सप्लाई चेन में किसी भी तरह की बाधा या भारी बारिश के चलते नुकसान होने से कीमतों में तेजी आती है. इसके विपरीत, थोक मात्रा में आवक और लॉजिस्टिक की समस्या होने पर बाजार में ज्यादा सप्लाई की स्थिति पैदा हो जाती है. ऐसे में खुदरा कीमतों में गिरावट आती है. इस महीने 25 नवंबर तक टमाटर का अखिल भारतीय औसत मूल्य 67 रुपये प्रति किलो था जो पिछले साल की तुलना में 63 प्रतिशत ज्यादा है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक, चालू वर्ष में टमाटर का खरीफ (गर्मी) उत्पादन 69.52 लाख टन है, जबकि पिछले साल 70.12 लाख टन टमाटर का उत्पादन हुआ था.
हालांकि, प्याज के मामले में, मंत्रालय ने कहा कि कीमतों में काफी कमी आई है और यह स्तर 2020 और 2019 में खुदरा कीमतों से नीचे है. आकंड़े के अनुसार 25 नवंबर को प्याज का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 39 रुपये प्रति किलो था जो पिछले साल की तुलना में 32 प्रतिशत कम है.
2.08 लाख टन के बफर प्याज स्टॉक जारी किया गया
मंत्रालय ने कहा कि उसने मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत बनाए गए 2.08 लाख टन के बफर प्याज स्टॉक को उन राज्यों और शहरों के लिए व्यवस्थित और लक्षित तरीके से जारी किया जहां कीमतें पिछले महीने की तुलना में बढ़ रही थीं. लासलगांव और पिंपलगांव जैसे बाजारों में भी स्टॉक की उपलब्धता बढ़ाने के लिए इस स्टॉक को जारी किया गया. सरकार की मदर डेयरी की सफल इकाइयों को भी परिवहन लागत सहित 26 रुपये प्रति किलो प्याज की सप्लाई की गई है.
मंत्रालय ने कहा, बफर से प्याज की भारी मात्रा के जारी किये जाने से कीमतों में स्थिरता आई है.सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, शुक्रवार को टमाटर की खुदरा कीमत राष्ट्रीय राजधानी में 75 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई, जबकि दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में कीमतों में नरमी आई, लेकिन अभी भी यह कीमत ज्यादा ही है.
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