सिक्किम भारत का पहला राज्य है जिसने पूरी तरह से जैविक खेती को अपनाया है. सिक्किम की तरह ही देश के कई अन्य राज्य भी अब इसमें आगे आ रहे हैं.
भारत में सिक्किम ने जैविक खेती में बाजी मारी है और वो पूरी तरह से जैविक खेती को अपनाने वाला पहला राज्य बन गया है. सिक्किम, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों ने भी ऐसे समान संधारणीयता (सस्टेनेबिलिटी) लक्ष्य निर्धारित किए हैं. उत्तर-पूर्व भारत की अगर बात करें तो यह पूरी तरह से जैविक खेती रहा है और देश के बाकी हिस्सों की तुलना में यहां रसायनों की खपत बहुत कम रही है. इसके साथ ही जनजातीय और द्वीप क्षेत्रों को भी जैविक खेती के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है.
जैविक खेती में भारत का परचम
भारत में पिछले कई वर्षों से यहां के किसान पारंपरिक रूप से जैविक खादों का प्रयोग करके यहां जैविक खेती करते आ रहे हैं.
जैविक खेती में कई प्रकार की प्राकृतिक तत्वों को शामिल किया जाता है जिसमें मिट्टी, पानी, जीवाणु, अपशिष्ट उत्पादों, वानिकी और कृषि का एकीकरण शामिल है.
भारत के जैविक किसान उन सभी अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरे साबित होते हैं और अपने अधिक जागरूकता और क्षमता के कारण वैश्विक कृषि व्यापार में अपनी जगह बनाने में सक्षम दिखाई देते हैं.
जैविक खेती की मुख्य विशेषताएं
जैविक खेती को बढ़ावा देने और रसायन मुक्त खेती के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2015 में दो कार्यक्रमों की शुरुआत की गई थी. इन योजनाओं के नाम हैं मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (MOVCD) और परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY). वहीं मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट को उत्तर पूर्व के लिए शुरू किया गया है. साथ ही अगर वर्ष 2018 की कृषि निर्यात नीति की बात करें तो इसका उद्देश्य वैश्विक जैविक बाजारों में देश को एक प्रमुख कारोबारी के तौर पर उभारने में मदद करना है. निर्यात में उत्पादों की बात करें तो मुख्य तौर पर इनमें बीज, तिल, सोयाबीन, चाय, औषधीय पौधे, चावल और दालें शामिल हैं. वित्त वर्ष 2018-19 में इनमें वृद्धि भी दर्ज की गई थी. केंद्र द्वारा खुदरा और थोक खरीदारों को भी जैविक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म www.jaivikkheti.in से जोड़ा जा रहा है और उसे मजबूत किया जा रहा है.
बता दें कि परंपरागत कृषि विकास योजना लगभग 40,000 समूहों की सहायता करने में सक्षम है, जिसमें लगभग 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है.
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