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मुश्किल नहीं आसान है, 'पाले से फसल बचाने का तरीका'

किसान भाइयों पाले से फसल को बहुत अधिक नुकसान होता है। खेतों में लहलहाती फसल पाले के प्रकोप से खराब हो जाती है। इस लेख में हम फसल को पाले से बचाने के विषय पर चर्चा कर रहे हैं। दरअसल हमारी कृषि मौसम पर निर्भर करती है। इस बीच मौसम की बदलती परिस्थितियों में पाला (कोहरा) जिसे अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। कुछ क्षेत्र में इसे सफेद धुआं व धुन्ध कहते हैं।

किसान भाइयों पाले से फसल को बहुत अधिक नुकसान होता है। खेतों में लहलहाती फसल पाले के प्रकोप से खराब हो जाती है। इस लेख में हमफसल को पाले से बचाने के विषय पर चर्चा कर रहे हैं। दरअसल हमारी कृषि मौसम पर निर्भर करती है। इस बीच मौसम की बदलती परिस्थितियों में पाला (कोहरा) जिसे अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। कुछ क्षेत्र में इसे सफेद धुआं व धुन्ध कहते हैं। जबकि फसल की बढ़वार की अवस्था में इसका प्रकोप अधिक होता है। जिसके चलते फसल झुलस जाती हैं। मटर जैसी फसल में फलियों के अंदर सफेद पाला पड़ जाता है। इसके अतिरिक्त चने, सरसों आदि फसलों की पत्तियां गिरने लगती हैं। गेहूं की फसल में मध्यम तना पतला पड़ जाता है जिससे पैदावार पर गहरा असर पड़ता है।

किसान भाइयों पाला पड़ने की परिस्थिति में आपको अधिक जल चाहने वाली फसलों का चुनाव करना चाहिए। इस दौरान गेहूं की निम्न किस्में है जैसे पी.बी.डब्लू 502, पी.बी.डब्लू 17, पी.बी डब्लू 550 जैसी प्रजातियों में खेत समतल होने की दशा में पानी भर दें जिससे खेत का तापमान सामान्य रहता है एवं गेहूं कि अन्य किस्मों में पाला पड़ने पर खेत चारों कोनो पर भूसे या पुआल का धुआं कर दें जिससे पाले के प्रकोप से फसलों को बचाया जा सकता है एवं अन्य फसलों में उचित नमी 2-3 सेमी बनाएं रखें एवं रासायनिक विधि भी उपयोग कर सकते है पाले से फसलों को बचाने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड 1 मिलीलिटर पानी का छिड़काव करें या डाईमिथाईल सल्फो ऑक्साईड 0.07 डी.एम.एस को प्रतिशत घुलनशील सल्फर 0.3 प्रतिशत 3 मिलीलिटर पानी या थायोयूरिया 45 मिलीलिटर/लिटर पानी को छिड़के जिससे फसल पौध कोशिका का द्रव का तापमान बड़ जाएगा और फसल पाले से झुलसने से बच जाती है।

पाला पड़ने का कारण-

पाले के पौधों पर प्रभाव शीतकाल में अधिक होता है जब तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर जाता है और हवा रुक जाती है तो रात्रि को पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है। वैसे साधारणतया पाले का अनुमान दिन के बाद के वातावरण से लगाया जाता है। सर्दी के दिनों में दोपहर से पहले ठंडी हवा चलती रहे एवं हवा का तापमान जमाव बिंदु से नीचे गिर जाए। दोपहर बाद अचानक हवा चलना बंद हो जाए तथा आसमान साफ रहे या उसी दिन आधी रात के बाद हवा रुक जाए, तो पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है।

साधारणतया तापमान कितना भी नीचे गिर जाए यदि शीतलहर हवा रूप से चलती रहे तो नुकसान नहीं होता है। लेकिन यदि हवा चलना रुक जाए तथा आसमान साफ होने की दशा में फसलों को नुकसान होता है।

 

मयंक तिवारी ( कृषि परास्नातक छात्र)

अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग

बुंदेलखंड विश्वविद्दालय झांसी

मो.- 8009828072,8840452184

English Summary: The difficulty is not easy, 'the way to save crops from the crop' Published on: 29 January 2018, 07:06 AM IST

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