हर बार की तरह इस बार भी चुनाव परिणाम आने से पहले विपक्ष ईवीएम(EVM) को लेकर सवाल खड़े करने लगी है. लेकिन इस मामले को लेकर विपक्ष को उस समय करारा झटका लगा, जब सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपीएटी पर्चियों की जांच करवाने से मना कर दिया. अपने फैसले में विपक्ष को करारा झटका देते हुए कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पहले ही सुनवाई हो चुकी है और अगर फिर इस मामले में दखल दिया गया तो इससे लोकतंत्र को नुकसान होगा.
बता दें कि चेन्नई के "टेक फॉर ऑल" ने चुनाव आयोग पर सवाल खड़े करते हुए याचिका दाखिल किया था कि तकनीकी तौर ईवीएम सही नहीं है और इसलिए उसकी जांच होनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने गोवा और उड़ीसा के कई अन्य जगहों पर भी ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी का दावा किया था.
वहीं बिहार में आरजेडी समेत कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं ने ईवीएम को बदलने एवं गड़बड़ी करने का दावा किया है. अपने एक ट्वीट में आरजेडी ने वीडियो पोस्ट करते हुए दावा किया कि उनके कार्यकर्ताओं ने महाराजगंज सीट के एक स्ट्रांग रूम पर गाड़ी को घुसने से रोका है, जिसमे ईवीएम से भरे मशीन थे. उधर गाजीपुर में भी विपक्ष इसी तरह की बात कहते हुए चुनाव आयोग पर सवाल खड़े कर रही है.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी तमाम सभी चुनावों में परिणाम विपरीत आने पर विपक्ष ईवीएम पर सवाल उठाती रही है. इस बारे में कांग्रेस ने मीडिया को बताय कि कई जगहों से ईवीएम में छेड़छाड़ की खबरे आ रही है और इसलिए चुनाव को निष्पक्ष संपन्न कराने के लिए जरूरी है कि 50 प्रतिशत ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों का मिलान करवाया जाए. खबरों की माने तो इस मामले को लेकर आज 20 विपक्षी दलों के नेता ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग से मिल सकते हैं.
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