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सुमिन्तर इंडिया अर्गेनिक्स ने विदर्भ के किसानों को बताया विष रहित कीट नियंत्रण का तरीका

सुमिन्तर इंडिया अर्गेनिक्स ने बीते सप्ताह महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के अकोला -अमरावती जिले के 7 गावों के 220 किसानों को रबी दलहन फसल में विष रहित कीट नियंत्रण हेतु प्रशिक्षण दिया गया। वर्तमान समय में खेत में दलहनी फसल तुअर और चना है जिसके कीट नियंत्रण हेतु किसान थोड़ा प्रयास कर स्थानीय पेड़-पौधों की पत्तियों के सहारे घरेलू कीटनाशक बनाकर फसल पर स्प्रे करके विष रहित एवं कम खर्च कर फसल का उत्पादन कर सकते है।

सुमिन्तर इंडिया अर्गेनिक्स ने बीते सप्ताह महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के अकोला -अमरावती जिले के 7 गावों के 220 किसानों को रबी दलहन फसल में विष रहित कीट नियंत्रण हेतु प्रशिक्षण दिया गया। वर्तमान समय में खेत में दलहनी फसल तुअर और चना है जिसके कीट नियंत्रण हेतु किसान थोड़ा प्रयास कर स्थानीय पेड़-पौधों की पत्तियों के सहारे घरेलू कीटनाशक बनाकर फसल पर स्प्रे करके विष रहित एवं कम खर्च कर फसल का उत्पादन कर सकते है। अधिकांश क्षेत्र वर्षा वाले है। ऐसे में किसान खरीफ मौसम में सोयाबीन के साथ तुअर की फसल बोते है और रबी की फसल यहां की मुख्य फसल है।

खेती करने का तरीका

किसानों को यह प्रशिक्षण सुमिन्तर इंडिया अर्गेनिक्स के वरिष्ठ प्रबंधक (शोध) संजय श्रीवास्तव द्वारा दिया गया जिसमें दलहनी फसलों में फलीछेदक कीट से बचाव हेतु फूल आने से 10-15 दिन पूर्व फेरोमन ट्रैप लगाना और कीट का आंकलन करना बताया गया है। कीट की उपस्थिति होने पर किसान को फसल पर स्वनिर्मित कीटनाशक बनाने और स्प्रे करने का तरीका बताया गया जिसमें मुख्यताः पंचपत्ती अर्क, नीम, नीमास्त्र, ब्रह्मस्त्र, लहसुन-मिर्च सत् आदि है। नीम बीज सत् का प्रयोग आरंभ से ही करने पर कीट की समस्या नहीं आती है। संजय श्रीवास्तव ने बताया कि एक ही फनी छेदक कीट सोयाबीन, तुअर एवं चना आदि की फसल पर ज्यादा क्षति करता है। यदि शुरू से ही टैप एवं स्वनिर्मित वानस्पतिक कीटनाशक का प्रयोग किया जाए तो फसल सही तरीके से समय पर होती है| ऐसे में किसान बिना किसी अतिरिक्त खर्च के विषरहित फसल का उत्पादन प्राप्त कर सकते है।

खाद पर ध्यान दें किसान

जैविक खेती की इसी कड़ी में संजय श्रीवास्तव ने इस पर विशेष जोर दिया कि जैविक खेती का मुख्य आधार पूरी तरह से जैविक खाद है। किसान भाई अभी से ही गोबर खाद एवं कम्पोस्ट बेस्ट डीकम्पोजर की सहायता से  50-60 दिनों मे खाद बना सकते है। यह आगामी सोयाबीन की फसल हेतु बहुत ही उत्तम होगा। इस खाद के प्रयोग से खेत में खरपतवार की अतिरिक्त संख्या नहीं बढ़ेगी, क्योंकि इस विधि से खाद बनाने पर गोबर आदि में उपलब्ध खरपतवार के बीज नष्ट हो जाते है। खाद का संतुलित विकास होगा। इसके साथ ही किसान को खरपतवारनाशी एवं वृद्धि नियंत्रक का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा जो कि काफी हानिकारक है।

प्रशिक्षण में काफी लोग रहे शामिल

प्रशिक्षण के दौरान बेस्ट डी कंपोजर की 1 लीटर की बोतल तथा कृषि जागरण पत्रिका के जैविक खेती विशेषांक को मुफ्त में वितरण किया गया। इसके अलावा इस दौरान सुमिन्तर इंडिया अर्गेनिक्स के वरिष्ठ प्रबंधक (शोध) संजय श्रीवास्तव ने किसानों के काफी प्रश्नों का उत्तर भी दिया| प्रशिक्षण के दौरान काफी लोग मौजूद रहे और इसका प्रबंधन स्थानीय टीम ने किया।

किशन अग्रवाल, कृषि जागरण

English Summary: Suminter India Organics provide training - Pesticides free pest management in Vidhrva reasion of Maharashtra Published on: 24 December 2018, 04:55 PM IST

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