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11 वीं फेल किसान ने बना दिया खुद का कैशलैस मिल्क एटीएम

गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के एक किसान हैं, नीलेश गुस्सर. 11वीं फेल नीलेश ने पिछले साल ऑटोमेटिक एटीएम मिल्क मशीन बनाई थीं. इस साल उन्होंने इसे और भी ज्यादा हाइटेक बना दिया है. उन्होंने इस मशीन में बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंटिंग, आईडी और पासवर्ड, प्रीपेड कार्ड जैसे फीचर जोड़ दिए हैं. अब इस मशीन से कैशलेस तरीके से दूध निकाला जा सकेगा.

KJ Staff
Milk Dispenser
Milk Dispenser

गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के एक किसान हैं, नीलेश गुस्सर. 11वीं फेल नीलेश ने पिछले साल ऑटोमेटिक एटीएम मिल्क मशीन बनाई थीं. इस साल उन्होंने इसे और भी ज्यादा हाइटेक बना दिया है. उन्होंने इस मशीन में बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंटिंग, आईडी और पासवर्ड, प्रीपेड कार्ड जैसे फीचर जोड़ दिए हैं. अब इस मशीन से कैशलेस तरीके से दूध निकाला जा सकेगा. 28 साल के नीलेश ने पिछले साल 30 एटीम मिल्क मशीन किसानों को बेची थीं. इस मशीन में 20, 50 और 100 रुपये के नोटों से दूध निकाला जा सकता है.

इस मशीन से किसानों को काफी फायदा हो रहा है. वे किसान जो कॉओपरेटिव या दूध डेयरी को अपना दूध नहीं बेचना चाहते वे अपने मन मुताबिक दाम पर मिल्क एटीएम लगाकर दूध बेच रहे हैं. कॉओपरेटिव या डेयरी को दूध बेचने पर उन्हें बिचौलियों को कमीशन देना पड़ता है जिससे उन्हें नुकसान होता है. गिर जिले के तलाला इलाके से 7 किलोमीटर स्थित गांव खिरधर के रहने वाले नीलेश ने पिछले साल मिल्क एटीएम मशीन बनाई थी. वे अब तक गुजरात के जामनगर, द्वारका, पोरबंदर जैसे इलाकों के साथ ही महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु के किसानों को लगभग 30 मशीनें बेच चुके हैं.

नीलेश के अनुसार उनके पास 6 गायें थीं. जिनका दूध निकालकर वे सहकारी मंडी में बेचने के लिए ले जाते थे, लेकिन उन्हें अच्छा दाम नहीं मिलता था. वे देखते थे कि उनसे तो सिर्फ 25 रुपये प्रति लीटर में दूध बेचा जा रहा है जबकि शहर में दूध 50 रुपये में मिलता है. उन्होंने इसके बाद एटीएम मिल्क मशीन बनाने का फैसला कर लिया. इसके लिए उन्होंने इंटरनेट पर थोड़ा सा रिसर्च भी किया और मुंबई, राजकोट, अहमदाबाद से मशीन बनाने के पुर्जे मंगवाए. उन्होंने नोट के सेंसर और फिंगरप्रिंट की मशीन ताइवान से मंगवाई.

नीलेश ने योर स्टोरी से बात करते हुए बताया, 'मैं बिचौलियों का काम खत्म करना चाहता था. वे किसान और कस्टमर के बीच में आकर कमीशन खाते थे. जब मैं नजदीक की कॉओपरेटिव डेयरी में दूध बेचता था तो वहां भी मुझे दूध का सही दाम नहीं मिलता था. इसलिए मैंने ये मशीन बनाई.' आपको जानकर हैरानी होगी कि नीलेश 11वीं फेल हैं. उन्होंने कोई इंजीनियरिंग की ट्रेनिंग नहीं ली है. वे बताते हैं कि उन्हें मशीनों को बनाने का शौक रहा है. नीलेश बताते हैं कि इस मशीन की बदौलत किसान को दूध की डेढ़ गुना ज्यादा कीमत मिलती है. किसान सिर्फ एक साल में ही इस मशीन का दाम रिकवर कर सकते हैं.

जिन किसानों के पास तीन से ज्यादा गाय या भैंसे होती हैं उनके लिए ये मशीन काफी फायदेमंद है. नीलेश ने बताया, 'इस बार मैंने मशीन को पूरी तरह से कैशलेस बना दिया है. अब मशीन में पैसे नहीं डालने पड़ेंगे. जिस भी ग्राहक को दूध लेना होगा उसे अपना फिंगरप्रिंट इस मशीन में रजिस्टर करवाना होगा उसके बाद वह एक निश्चित मात्रा में दूध निकाल सकेगा.' इसके साथ ही यूजरनेम और पासवर्ड के जरिए भी प्रीपेड कार्ड द्वारा दूध निकाल सकेंगे. नीलेश ने इस तरह की अभी पांच कैशलेस मशीनें बनाई हैं. जिन्हें वे तमिलनाडु, उड़ीसा और राजस्थान के किसानों को बेच चुके हैं.

मशीन की कीमत 75 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक है. इसमें 50 से लेकर 250 लीटर तक दूध स्टोर किया जा सकता है. इसमें फ्रिज के साथ ही पावर बैकअप की सुविधा भी है. जिससे लाइट चली जाने की स्थिति में दूध को खराब होने से बचाया जा सकेगा. नीलेश ने सबसे पहले कच्छ के एक किसान वेलाजी भुइदिया को यह मशीन बेची थी. उन्होंने अपनी गायों का दूध बेचने के लिए मशीन खरीदी थी. इस मशीन को कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है. अब वेलाजी दूसरी मशीन खरीदने की योजना बना रहे हैं.

साभार : योर स्टोरी

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English Summary: Success Story 4 Published on: 06 February 2018, 03:35 AM IST

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