1. Home
  2. सफल किसान

डायलॉग राइटिंग के अलावा किचन गार्डनिंग का काम करते हैं संजय मासूम, पढ़ें इंटरव्यू के प्रमुख अंश

पेड़, पौधों और प्रकृति से बचपन से ही प्रेम और लगाव रहा है. मुंबई जैसे शहर में जब भी मुझें लगता है कि मैं थोड़ा तनाव में हूँ तो मैं अपने छोटे से गार्डन में चला जाता हूँ. जहां फल, फूल और सब्जियां तीनों ही हैं. दरअसल, यह छोटा सा गार्डन मेरे लिए इस महानगर में एक सुकून का कोना है, जिसमें मुझे आकर बेहद राहत मिलती है. ये कहना है मशहूर संवाद लेखक संजय मासूम का. जो अपने फ्लैट की बालकनी में ही कई तरह की सब्जियां उगाते हैं. इसी के मद्देनजर कृषि जागरण ने उनसे बात कर उनके लेखन के सफ़र और प्रकृति से विशेष लगाव की वजह जाना. पेश है उनसे बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-

श्याम दांगी
सब्जियों की देखभाल करते संजय मासूम.
सब्जियों की देखभाल करते संजय मासूम.

पेड़, पौधों और प्रकृति से बचपन से ही प्रेम और लगाव रहा है. मुंबई जैसे शहर में जब भी मुझें लगता है कि मैं थोड़ा तनाव में हूँ तो मैं अपने छोटे से गार्डन में चला जाता हूँ. जहां फल, फूल और सब्जियां तीनों ही हैं. दरअसल, यह छोटा सा गार्डन मेरे लिए इस महानगर में एक सुकून का कोना है, जिसमें मुझे आकर बेहद राहत मिलती है. ये कहना है मशहूर संवाद लेखक संजय मासूम का. जो अपने फ्लैट की बालकनी में ही कई तरह की सब्जियां उगाते हैं. इसी के मद्देनजर कृषि जागरण ने उनसे बात कर उनके लेखन के सफ़र और प्रकृति से विशेष लगाव की वजहें जानी. पेश है उनसे बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-    

बचपन से ही पौधों से इश्क़ रहा 

कृषि जागरण से ख़ास बातचीत करते हुए संजय मासूम ने बताया कि उन्हें बचपन से ही पेड़, पौधों से इश्क़ रहा है. जो अभी तक ख़त्म नहीं हुआ है. वे उत्तर प्रदेश की गाजीपुर जिले के बालापुर गांव से ताल्लुक रखते हैं. आज भी वो जब गांव जाते हैं तो नए पेड़ पौधों जरूर लगाते हैं. उन्होंने अपने गाँव के बगीचे में आम और जामुन के पेड़ लगाए हैं. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने अपनी बालकनी में ही सब्जियां उगाना शुरू कर दिया. अभी उनके गार्डन में टमाटर समेत कई अन्य सब्जियां उगी हैं. इसके अलावा एक सीजन में वे पालक, धनिया और मेथी उगा चुके हैं. वह सभी सब्जियां जैविक तरीके से उगाते हैं. वह कहते हैं कि एक क्रिएटिव पर्सन होने के नाते मुझे यहां बेहद सुकून मिलता है. 

गार्डन में उगाया गया करेला, सेम और बीन्स.
गार्डन में उगाया गया करेला, सेम और बीन्स.

आश्रम वेब सीरीज ने दी नई पहचान

संजय मासूम ने बताया कि बॉलीवुड में पहला ब्रेक उन्हें अभिनेता सनी देओल ने अपनी फिल्म 'जोर' से दिया था. इसी फिल्म से मैंने बतौर डायलॉग राइटर अपने करियर की शुरूआत की थी. हाल ही में मैंने बॉबी देओल स्टारर वेबसीरीज 'आश्रम' में डायलॉग राइटर का काम किया है. उन्होंने आगे बताया कि इस वेब सीरीज के रिलीज होने के बाद उन्हें बतौर डायलॉग राइटर कई बड़े ऑफर्स मिल रहे हैं. ओटीटी प्लेटफार्म और सिनेमाघर पर अपनी राय रखते हुए उन्होंने बताया कि कोरोना काल में ओटीटी प्लेटफार्म ने लोगों के बीच जल्दी से पैठ बना ली. लेकिंन सिनेमाघर में फिल्में देखने का अपना ही मज़ा है. दोनों माध्यमों का अपना-अपना आनंद है. उन्हें नहीं लगता है कि ओटीटी प्लेटफार्म आने से सिनेमाघरों का किसी तरह से नुकसान होगा. 

फिल्मी लेखन से पहले पत्रकारिता

उन्होंने बताया कि फिल्मों के डायलॉग और गीत लिखने से पहले मैं पत्रकारिता में था. इलाहाबाद से बीए एलएलबी करने के बाद मैंने 'मनोहर कहानियां' नामक एक पत्रिका में उप संपादक के पद पर काम किया. उस समय मुझें महज 1500 रुपए माह की मासिक तनख्वाह मिलती थी. इस नौकरी को छोड़ने के बाद मैं मुंबई आ गया और यहां आने के बाद मशहूर साहित्यिक पत्रिका 'धर्मयुग' में उप-संपादक के पद पर काम किया. उस समय ‘धर्मयुग’ पत्रिका के संपादक गणेश मंत्री हुआ करते थे. हालांकि, यह पत्रिका बाद में किसी कारणवश बंद हो गई. इसके बाद मैंने नवभारत टाइम्स में काम किया.

लाइब्रेरी में संजय मासूम.
लाइब्रेरी में संजय मासूम.

कई फिल्मों के डायलॉग लिख चुके हैं संजय मासूम

संजय मासूम ने बताया कि अब तक वो कई फिल्मों के डायलॉग और गाने लिख चुके हैं. जिनमें उन्होंने फिल्म 'जन्नत', 'जन्नत 2', 'कृष', 'कृष-3' और 'काबिल' के डायलॉग लिखे हैं. वहीं फिल्म 'आशिक़ी 2', 'राज़ 3' और 'जन्नत 2' के लिए गीत लिखे हैं. उन्होंने आगे बताया कि उन्हें शायरी से सबसे ज्यादा लगाव रहा है, यहीं वजह रहा कि उन्हें महेश भट्ट साहब जैसे निर्देशक ने गीत लिखने का ऑफर दिया.  उनके आगामी प्रोजेक्ट 'आश्रम 2', 'इंस्पेक्टर अविनाश', 'रक्तांचल -2' जैसी वेब सीरीज है जो जल्द ही ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज होगी.  

राही मासूम रजा से मिलने का किस्सा

मासूम ने बताया कि फिल्मों में आने से पहले वह साहित्य और सिनेमा की मशहूर हस्ती राही मासूम रजा और निदा फाजली से बेहद प्रभावित थे. उनकी तरह का लेखन वे फिल्मों में करना चाहते थे. उन्होंने बताया कि उनके और राही साहब से मिलने का किस्सा काफी दिलचस्प है. मुंबई के एक होटल में काव्य गोष्ठी के लिए मैं गया था. जब मंच संचालक ने मुझें अपने नाम से आमंत्रित किया तो श्रोताओं के बीच बैठे राही साहब बोल उठे 'चलो, 'मुंबई में दो मासूम हो गए.'

English Summary: Aashram web series dialogue writer Sanjay masoom grow vegetables in the balcony Published on: 17 February 2021, 04:08 PM IST

Like this article?

Hey! I am श्याम दांगी. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News