
खेती-किसानी आज सिर्फ जीवन चलाने का जरिया नहीं, बल्कि कमाई का एक मजबूत साधन भी बन रही है. सब्जियों, फल और फूलों की खेती के साथ-साथ अब किसान मसाले की खेती से भी अपनी आमदनी में बड़ा इज़ाफा कर सकते हैं. सरकार की ओर से मसाले की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि किसान नई फसलों को अपनाकर आत्मनिर्भर बन सकें.
उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में भी किसानों को मसाले की खेती के लिए जागरूक और प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस पहल का मकसद किसानों को बेहतर बीज, तकनीक और आर्थिक सहायता देकर मसाले की खेती की ओर आकर्षित करना है. इसके लिए "पहले आओ, पहले पाओ" के आधार पर पंजीकरण किया जा रहा है, ताकि इच्छुक किसान इस योजना का लाभ उठा सकें.
मसाले की खेती के लिए सरकार की योजना
इस योजना को एनएचआरडीएफ (NHRDF) संस्था के सहयोग से लागू किया जा रहा है, जो किसानों को प्रमाणित बीज उपलब्ध करवा रही है. इस बार 5 हेक्टेयर भूमि पर मसालों की खेती का लक्ष्य तय किया गया है. योजना के तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर 20,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा. यह अनुदान किसानों के बैंक खाते में सीधे DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से भेजा जाएगा. इससे किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी और वे कम खर्च में अधिक उत्पादन कर सकेंगे.
कैसे करें आवेदन?
जो किसान इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, उन्हें ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से पंजीकरण करना होगा. आवेदन के लिए नीचे दिए गए दस्तावेजों की आवश्यकता होगी:
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आधार कार्ड
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पैन कार्ड
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बैंक पासबुक की कॉपी
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मोबाइल नंबर
ये सभी दस्तावेज देने के बाद किसान योजना के लिए रजिस्टर हो सकते हैं. ध्यान रखें कि यह योजना सीमित समय और लक्ष्य के अनुसार लागू की गई है, इसलिए जितनी जल्दी पंजीकरण करेंगे, उतनी ही जल्दी लाभ मिलेगा.
क्यों जरूरी है मसाले की खेती?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेठी जिले के उद्यान निरीक्षक प्रमोद कुमार यादव ने बताया कि हर साल किसानों को अलग-अलग योजनाओं और खेती के तरीकों से जागरूक किया जाता है. मसाले की खेती एक ऐसी फसल है, जिसमें बाजार में लगातार मांग बनी रहती है और किसानों को अच्छी कीमत मिलती है. साथ ही यह कम समय और कम लागत में अच्छी पैदावार देती है. सब्जियों की तरह ही मसालों की खेती भी किसानों के लिए लाभदायक हो सकती है.
किसानों को क्या-क्या मिलेंगे लाभ?
इस योजना से किसानों को कई तरह के लाभ मिल सकते हैं:
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प्रमाणित और गुणवत्ता वाले बीज मिलेंगे, जिससे उत्पादन बेहतर होगा.
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सरकार की ओर से 20,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान मिलेगा, जिससे लागत में राहत मिलेगी.
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खर्च कम और मुनाफा ज्यादा होने की संभावना है.
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मसालों की खेती करने से किसान नई फसलों की तकनीक से जुड़ पाएंगे.
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खेती का जोखिम कम होगा और किसान प्रगतिशील कृषक बन सकेंगे.
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