मृदापरीक्षकः मृदापरीक्षण का आसान तरीका
पौधों को अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिसमें मुख्य तत्व है-कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोटास, कैल्शियम एवं मैग्नीशियम तथा सूक्ष्म तत्वः जस्ता, मैग्नीज, तांवा, लौह, बोरोन, मोलिबडेनम व क्लोरी है। इन सभी तत्वों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करने से ही अच्छी पैदावार ली जा सकती है। परंतु असंतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने से उनकी पूर्ति पूरी तरह से नहीं हो पा रही है। जिससे हमारी भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है। इसलिए मृदा में पोषक तत्वों की कमी को जानने के लिए मिट्टी की जांच कराना अति आवश्यक है। कसानों को जल्दी और समय पर मृदा की रिपोर्ट; मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करने के लिए अनेक लघु प्रयोगशालाएं बनायी गयी हैं जिनमें से एक हैं मृदा परीक्षक।
मृदापरीक्षक संबंधित तथ्य
- 18 फरवरी, 2015 को केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने भारतीय कृषि शोध परिषद (ICAR-Indian Council of Agricultural Research) की नई दिल्ली में सम्पन्न वार्षिक बैठक में मृदा परीक्षण के लिए एक लघु प्रयोगशाला ’मृदापरीक्षक को पेश किया ।
- इस लघु प्रयोगशाला का विकास भारतीय कृषि शोध परिषद के प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन डिवीजन के अधीनस्थ शोध संस्थान आईसीएआर-भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान ने किया है।
- आईसीएआर-भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान भोपाल मध्य प्रदेश में स्थित है।
- आईसीएआर की पहल भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान (IISS) के वैज्ञानिकों के एक दल के ठोस प्रयासों और मेसर्स नागार्जुना एग्रोकेमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद के सहयोग से इस मिनीलैब का विकास संभाव हो पाया है।
- मिट्टी के सेहत की त्वरित वैज्ञानिक एवं किफायती जांच बेहद आसानी से करने के लिए ही इस मिनी लैब का विकास किया गया है।
मृदापरीक्षक की प्रमुख खूबियां-
- यह किसानों तक मिट्टी परीक्षण सेवा मुहैया कराने वाली एक अंकीय (डिजिटल) मोबाइल मात्रात्मक मिनीलैब/मिट्टी परीक्षण किट है।
- यह मिट्टी के सभी महत्वपूर्ण पैमानों का निर्धारण करती है। मिट्टी की पी.एच (pH) ईसी (EC) जैविक कार्बन, विद्यमान नाइट्रोजन, फ़ास्फ़ोरस, पोटैशियम एवं सल्फर और जस्ता, बोरॉन, लोहे जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व इन पैमानो में शामिल हैं।
- यह एसएमएस (SMS) के जरिए विशेष फसल एवं मिट्टी के लिए उर्वरक संबंधी अनुशंषाएं सीधे किसानों के मोबाइल पर भेजती है।
- मृदा परीक्षक को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के उपयोग के मामले में अनुकूल पाया गया है।
- मृदापरीक्षक को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के उपयोग के मामले में अनूकूल पाया गया है।
- मृदापरीक्षक के साथ मिट्टी के नमूने वाले उपकरण, जीपीएस, बैलेंस, शेकर, हॉल्ट प्लेट और एक स्मार्ट सॉइल प्रो को भी उपलब्ध कराया जाता है, जो मिट्टी के पैमानों का निर्धारण करने के साथ-साथ उर्वरक पोषक तत्व संबंधी सिफारिशों को प्रदर्शित भी करता है।
- अल्पकालिक प्रशिक्षण लेकर कोई भी युवा शिक्षित किसान/ग्रामीण नौजवान (11-12वीं पास) भी इसका संचालन आसानी से कर सकता है।
मृदापरीक्षक
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
यह भारत सरकार, कृषि मंत्रालय, कृषि एवं सहकारिता विभाग के द्वारा चलाई जा रही एक योजना है। इसका कार्यान्वयन सभी राज्य एवं केन्द्र शासित सरकारों के कृषि विभागों के माध्यम से किया जाएगा। मृदा स्वास्थ्य कार्ड का उद्देश्य प्रत्येक किसान के उसके खेत की मृदा के पोषक तत्वों की स्थिति की जानकारी देना है और उन्हें उर्वरकों की सही मात्रा के प्रयोग और आवश्यक मृदा सुधारों के संबंध में भी सलाह देना है ताकि लम्बी अवधिक के लिए मृदा को कायम रखा जा सकें। यह मृदा के जाँच के बाद किसानों को रिपोर्ट के रूप में उपलब्ध कराया जाता हैं।
विषय वस्तु विशेषज्ञ,
मृदा विज्ञान,
कृषि विज्ञान केंद्र, रानीचैरी, टिहरी गढ़वाल।
E-mail: [email protected], 8755586316
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