मूंगफली हर किसी की पसंद है या यूं कहें कि कुछ लोग मूंगफली को अपना वक्त व्यतीत करने के लिए खाते हैं. जब हम अपनी धुन में मूंगफली खा रहे होते हैं तो कभी उसमें से दाना नहीं निकलता, तो कभी सड़े हुए दाने को हम खा लेते हैं, जिससे हमारा पूरा स्वाद खराब हो जाता है. ये अक्सर तब होता है, जब फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी, पोषण नहीं मिलता है. इसके लिए किसान अपनी फसल में पूरी मेहनत तो लगाता है, मगर पूरी तरह से परिणाम नहीं मिलता है. ये कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी “एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है”, इसी प्रकार से एक खराब मूंगफली की वजह से पूरे मूंगफली को बड़ी सतर्कता के साथ खाना पड़ता है. इसी को देखते हुए वैज्ञानिकों ने एक एक्स रे मशीन विकसित की है, जिसकी सहायता से पहले ही पता लग जाएगा कि मूंगफली में दाना है या नहीं या फिर है तो इसका आकार छोटा है या बड़ा.
एक्स-रे रेडियोग्राफी तकनीक
आपने आज तक हम इंसानों और जानवरों की एक्स रे मशीन के बारे में सुना होगा. मगर अब अंतर्राष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISET) ने एक एक्स रे मशीन ईजाद की है, जिसकी सहायता से मूंगफली को स्केन करके उसकी गुणवत्ता और दानों का पता लगाया जा सकता है.
किसानों को मिलेगा लाभ
एक्स-रे रेडियोग्राफी तकनीक से किसानों को काफी लाभ पहुंचने वाला है. इसकी मदद से किसान पहले की मूंगफली की गुणवत्ता और क्षमता के बारे में जान लेंगे, इसके साथ ही वह अपनी अच्छी गुणवत्ता वाली मूंगफली को अलग करके उसे बाजार में अच्छे दामों में गारंटी के साथ बेच सकते हैं. साथ ही किसानों को अपनी मूंगफली की कमियों की जानकारी भी प्राप्त हो जाएगी, जिसमें वह सुधार कर अच्छा उत्पादन पा सकते हैं. इसके साथ ही ‘मूंगफली में दाना नहीं तुम हमारे मामा नहीं’ कविता में भी परिवर्तन हो सकता है, क्योंकि अब ग्राहक के हर एक मूंगफली में दाना निकलेगा.
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यहां भी हो रहा इस्तेमाल
इस एक्स रे मशीन का इस्तेमाल मूंगफली की स्केनिंग के साथ अन्य उत्पादों की जांच के लिए भी किया जा सकता है, जिसमें जौ, अरहर, जई, चालन आदि की गुणवत्ता आसानी के साथ जांच की जा सकती है.
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