भारत में किसान भाइयों की प्रगति के लिए सरकार के द्वारा कई तरह की पहल शुरू की जा रही है. इन्हीं में से एक 'उत्तम बीज-समृद्ध किसान' (Best Seed Rich Farmer) की थीम भी है, जिसमें राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) ने केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सहयोग से किसानों की मदद की जा रही है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाल फिलहाल में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर ने साथी (SATHI) (सीड ट्रेसेबिलिटी, ऑथेंटिकेशन, एंड होलिस्टिक इन्वेंटरी) पोर्टल और साथ ही एक मोबाइल ऐप का नई दिल्ली में वर्चुअल माध्यम से शुभारम्भ किया. साथी पोर्टल व मोबाइल एप्लीकेशन मदद से किसानों को मिनटों में खेती-किसानी से जुड़ी कई तरह की सुविधा प्राप्त होगी.
बताया जा रहा है कि साथी पोर्टल व मोबाइल ऐप के जरिए, केंद्रीकृत ऑनलाइन प्रणाली बीज उत्पादन, गुणवत्ता बीज पहचान और बीज प्रमाणन की चुनौतियों का पता लगाने, प्रमाणीकरण और सूची प्रबंधन प्रदान करने के लिए विकसित की गई है.
इस संदर्भ में कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के समक्ष भविष्य में आने वाली चुनौतियां से निपटने के लिए SATHI पोर्टल बेहद मददगार साबित होगा. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि जमीनी स्तर पर इसके इस्तेमाल से कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा. इस पोर्टल व मोबाइल ऐप की जानकारी Narendra Singh Tomar के अधिकारिक ट्वीट पर दी गई है.
बीज उत्पादन की चुनौतियों से निपटने, गुणवत्तापूर्ण बीज की पहचान और बीज प्रमाणीकरण के लिए एनआईसी द्वारा बनाए गए साथी पोर्टल व मोबाइल एप्लीकेशन का आज कृषि भवन नई दिल्ली में वर्चुअल माध्यम से शुभारम्भ किया।#SARTHI pic.twitter.com/dObaPgUItC
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) April 19, 2023
कृषि उत्पादन का 20% बचेगा
देखा जाए तो देशभर में किसानों को उनकी फसल का अच्छा उत्पादन घटिया या नकली बीजों के उपयोग (Use of Substandard or Spurious Seeds) से बहुत ही अधिक प्रभाव पड़ता है, जिससे किसानों को नुकसान होता है. इसलिए, भारत में एक ऐसी प्रणाली विकसित करना अत्यावश्यक है जो नकली बीजों के बाजार को प्रभावी ढंग से रोक सके और यह सुनिश्चित कर सके कि गुणवत्ता वाले बीज किसानों तक पहुंच रहे हैं या नहीं. इसी कड़ी में भारत सरकार ने SATHI पोर्टल लॉन्च किया है.
कृषि में बीज, कीटनाशक, उर्वरक और सिंचाई द्वारा निभाई जाने वाली प्रमुख भूमिका के साथ-साथ मंत्री ने जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों को प्रभावित करने वाले नए प्रकार के कीटों से निपटने के लिए कृषि अनुसंधान के महत्व पर भी जोर दिया. इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि अगर किसान व सरकार मिलकर सही तरीके से कार्य करें, तो इन नुकसानों को कम करके देश में कुल कृषि उत्पादन का 20% तक सरलता से बचाया जा सकता है.
SATHI प्रणाली भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य सरकारों जैसे विभिन्न चैनलों के माध्यम से बीज अनुरेखण को सक्षम करने और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए QR कोड का उपयोग करेगी. इसके लिए देश के सभी राज्यों से सीड ट्रैसेबिलिटी सिस्टम में भाग लेने का आग्रह किया है, जो गुणवत्ता आश्वासन सुनिश्चित करेगा और उत्पादन श्रृंखला में बीजों के स्रोत का पता लगाएगा.
बीज श्रृंखला के 7 वर्टिकल
इस प्रणाली में बीज श्रृंखला के 7 वर्टिकल शामिल किए गए हैं, जिनमें अनुसंधान संगठन, बीज प्रमाणन, लाइसेंसिंग, कैटलॉगिंग, डीलर-टू-किसान बिक्री, किसान पंजीकरण और बीज प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण शामिल हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि केवल वैध लाइसेंस वाले डीलर ही पंजीकृत किसानों को प्रमाणित बीज बेच सकते हैं, जिन्हें सीधे उनके बैंक खातों में डीबीटी (DBT) के माध्यम से सब्सिडी प्राप्त होगी.
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