संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने ऐलान किया है एमएसपी पर स्वामीनाथन आयोग के सी2+50% फॉर्मूले पर एमएसपी पर गारंटी को लेकर एक बार फिर आंदोलन शुरू करेगा. आंदोलन की शुरुआत के लिए 26 नवंबर से देश में राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया जाएगा. इसके तहत 1 से 11 दिसंबर तक सभी राजनीतिक दलों के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के कार्यालयों तक मार्च निकाला जाएगा.
बता दें कि पिछले साल 19 नवंबर को केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन के चलते कृषि संशोधन अधिनियम बिल-2020 को रद्द कर दिया था. इस दिन, 19 नवंबर को किसान इस वर्ष ‘फतह दिवस’ या ’विजय दिवस’ के रूप में मनाएगा.
वहीं, एसकेएम नेता दर्शन पाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 1-11 दिसंबर तक सभी राजनीतिक दलों के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के साथ मार्च निकाला जाएगा.
संयुक्त किसान मोर्चा की ये हैं मांगें
- लखीमपुर-खीरी में किसानों को कार से कुचलने वाले राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को पद से बर्खास्त किया जाए. प्रदर्शन के दौरान जेलों में बंद किए गए किसानों को रिहा किया जाए.
- स्वामीनाथन आयोग के सी2+50% फॉर्मूले के अनुसार एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाया जाए.
- देश के सभी किसानों को कर्जमुक्त किया जाए. किसानों के सभी बिजली बिल माफ हों.
- विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से बाहर निकलकर सभी मुक्त व्यापार समझौते रद्द किए जाएं.
- किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लगाए गए सभी मुकदमे वापस हों.
- मांगों में अग्निपथ योजना की वापसी भी शामिल है.
किसान संगठन भाजपा के खिलाफ करेगा प्रचार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों के विभिन्न मुद्दों को उठाते हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार करने का फैसला किया है.
हालांकि, एसकेएम नेताओं ने बृहस्पतिवार को उनमें से कोई भी चुनाव नहीं लड़ेगा. लेकिन वे मतदाताओं से राजनीतिक दलों से सवाल पूछने की अपील जारी करेंगे.
इससे पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी का विरोध किया था. तब उन्होंने दूसरे दलों का समर्थन किया था.
ये है सी2+50% फॉर्मूला
कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय किसान आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि किसानों को सी2+50 प्रतिशत फॉर्मूले के तहत फसल उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिया जाना चाहिए. यानी फसल की कुल लागत (सी2) और उस पर होने वाले लाभ का 50 प्रतिशत हिस्सा किसानों को मिलना चाहिए.
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