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कस्तूरी रुई की ब्रांडिंग करने और कपास उत्पादन बढ़ाने के लिए बेहतर बीजों की जरूरत: कपड़ा मंत्री

कपड़ा उद्योग से भारतीय कपास ‘कस्तूरी’ की ब्रांडिंग करने का आह्वान किया है. साथ ही आश्वासन भी दिया है कि उद्योग के समर्थन के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी.

मनीष कुमार
नई दिल्ली में टेक्सटाइल सलाहकार समूह (टीएजी) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने टेक्सटाइल सलाहकार समूह (टीएजी) की कार्रवाइयों की समीक्षा की है. (फोटो-कृषि जागरण)
नई दिल्ली में टेक्सटाइल सलाहकार समूह (टीएजी) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने टेक्सटाइल सलाहकार समूह (टीएजी) की कार्रवाइयों की समीक्षा की है. (फोटो-कृषि जागरण)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत में रुई उत्पादन को बढ़ाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की आपूर्ति समय की जरूरत है. कृषि मंत्रालय कपास की देश में उत्पादकता बढ़ाने के लिए आधुनिक कृषि विज्ञान, बीज रोपण की उन्नत विधि से संबंधित नई तकनीकों पर कार्य कर रहा है. केंद्रीय मंत्री ने कपड़ा उद्योग से भारतीय कपास ‘कस्तूरी’ की ब्रांडिंग करने का आह्वान भी किया है. केंद्रीय मंत्री नई दिल्ली में टेक्सटाइल सलाहकार समूह (टीएजी) की बैठक को संबोधित कर रहे थे.

गोयल ने कस्तूरी कपास की पहचान के लिए तय मानकों, डीएनए परीक्षण क्षमता को विकसित करने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, इसके लिए इंडियन स्टैंडर्ड ब्यूरो और टेक्सटाइल अनुसंधान केंद्रों में आधुनिक परीक्षण प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी. फिलहाल, जो निकाय भारतीय कस्तूरी रुई की गुणवत्ता परखने और विदेशों में ब्रांडिग के लिए काम कर रहे हैं, वे सराहनीय है.

भारतीय कपास में दुनिया में पाई जाने वाली अन्य कपास के मुकाबले फाइबर की मात्रा बहुत अच्छी होती है. इसलिए कपास की गांठों की मानकों की पहचान करने के लिए बीआईएस अधिनियम 2016 के आदेश का अनुपालन आवश्यक है. बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने टेक्सटाइल सलाहकार समूह (टीएजी) की कार्रवाइयों की समीक्षा की.

किसान जागरूकता कार्यक्रम, एचडीपीएस और वैश्विक सर्वोत्तम कृषि प्रथाओं के माध्यम से कपास की उत्पादकता बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली और केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (सीआईसीआर), नागपुर द्वारा एक समग्र योजना प्रस्तुत की गई.

गोयल ने कहा कि कपड़ा उद्योग और उद्योग संघों को हैंडहेल्ड कपास तोड़ने वाली मशीनों को किसानों के बीच पहुंचाने के लिए हाथ मिलाना चाहिए. भारतीय टेक्सटाइल उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) इस परियोजना को वितरण समर्थन के साथ मिशन में मोड में संचालित करे. इस पर कपास उद्योग संघों और उद्योग जगत ने मिलकर 75 हजार हैंडहेल्ड कपास छांटने वाली मशीनों के लिए निधि देने पर सहमति व्यक्त की.

ये भी पढ़ें-देश में 14 वर्षों बाद रूई के उत्पादन में होगी वृद्धि, 2022-23 में 344 लाख गांठ तैयार होने का अनुमान

मंत्री ने आगे कहा कि कपास किसानों को सशक्त बनाने के लिए एफपीओ सक्रिय रूप से शामिल हो सकते हैं. कपास बीनने और भंडारण में किसानों द्वारा दोबारा उपयोग किए जाने वाले उर्वरक बैग का रंग बदलने के लिए उद्योग की मांग के जवाब में, जिसे कपास में संदूषण के प्रमुख कारणों में से एक रूप में जिम्मेदार ठहराया जाता है, इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस चिंता को ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्रालय ने अक्टूबर में 'वन नेशन-वन फर्टिलाइजर' योजना का संचालन शुरू कर दिया है.

English Summary: Piyush Goyal says branding of Kasturi cotton is need of the hour and good quality seeds needed to increase cotton production Published on: 09 November 2022, 12:53 PM IST

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