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19 हज़ार किलो आलू बेचने पर बचे 490 रुपये, पीएमओ को भेजा मनीआर्डर

भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है इस देश कि 82 फीसदी जनसंख्या किसी न किसी रूप से खेती से जुडी हुई है. लेकिन इस देश में किसानों के हालात इतने बुरे हैं कि मैं उसे अपने शब्दो में बयां नहीं कर सकता. कोई भी सरकार ये नहीं देखती की किसान किस हालत से गुजर रहा है, कैसे अपने जीवन का निर्वाह कर रहा है ? इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है

प्रभाकर मिश्र

भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है इस देश कि 82 फीसदी जनसंख्या किसी न किसी रूप से खेती से जुडी हुई है. लेकिन इस देश में किसानों के हालात इतने बुरे हैं कि मैं उसे अपने शब्दो में बयां नहीं कर सकता. कोई भी सरकार ये नहीं देखती की किसान किस हालत से गुजर रहा है, कैसे अपने जीवन का निर्वाह कर रहा है ? इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूपी के आगरा शहर में नगला नाथू ब्लॉक बरौली अहीर के निवासी किसान प्रदीप शर्मा को 19,000 किलो आलू बेचने के बाद केवल 490 रूपये का फ़ायदा हुआ. 490 रुपये की इतनी छोटी रकम से किसान न तो लेबर के पैसे चुका सकता है और न ही दवा, सिंचाई, बुवाई का खर्च निकाल सकता है. अब किसान प्रदीप शर्मा ने इस राशि को ड्राफ्ट के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेज दिया है. किसान कर्ज़ में इस कदर डूबा हुआ है कि वह अब अपनी जमीन को बेचने को मजबूर है.

किसान ज़मीन बेचने को मजबूर

किसान प्रदीप शर्मा बताते हैं कि खेती के कारण ही उन पर लगभग 20 लाख रुपये आर्थिक कर्ज है. उनके तीन बच्चे हैं. ऐसे में कर्ज चुकाना तो दूर उनके सामने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और परवरिश भी एक बड़ी चुनौती बन कर खड़ी है. ऐसे में उनके सामने अपनी जमीन बेचने के अलावा अब कोई रास्ता नहीं बचा है. लिहाजा मजबूर किसान प्रदीप ने जिला प्रशासन से अपनी जमीन बिकवाने की भी गुहार लगाई है. उसने प्रशासन को भी अपनी जमीन खरीदने का प्रस्ताव दिया है. प्रदीप शर्मा ने प्रशासन को अर्जी दी है कि चार गुना न सही दो गुना दाम पर ही उसकी जमीन बिकवा दी जाय. अच्छा होगा अगर सरकारी योजनाओं के लिए जमीन की आवश्यकता है तो उसके लिए भी वह अपनी जमीन बेचने को तैयार है.

महाराष्ट्र की मंडी में बेचा था आलू

प्रदीप शर्मा ने बताया कि आलू उन्होंने महाराष्ट्र के मंडी में बेचा था. उन्होंने एक हैक्टेयर खेत में करीब 19 हजार किलो आलू पैदा किया था. ये पूरा आलू उन्होंने महाराष्ट्र में अच्छी कीमत मिलने की आशा लगाकर बेचा था. आलू बेचने के बाद उन्होंने मंडी तक उसकी ढुलाई और कोल्ड स्टोरेज का किराया देने के बाद देखा तो उनके पास केवल 490 रूपये ही बचे थे. इसके बाद प्रदीप शर्मा ने मंगलवार को यह रकम प्रधानमंत्री कार्यालय को ड्रॉफ्ट बनवाकर भेज दी. प्रदीप शर्मा के अनुसार सरकारें किसानों को उत्पादन का उचित मूल्य दिलाने की हमेशा बात करती है लेकिन ऐसा कभी नहीं होता. इसलिए किसानों की स्थिति दयनीय बनी हुई है.

आलू की एक हेक्टेयर खेती में होता है इतना खर्च 

1. सिंचाई का खर्चा 7,000

2. दवा का खर्चा 8,000

3. खाद का खर्चा 14,000

4. बीज का खर्चा 36,000

5. खुदाई का खर्चा 14,000

6. लेवर का खर्चा 12,000

7. ट्रेक्टर भाड़ा 5500

8. बुवाई का खर्चा 3600 रुपये

English Summary: Rs. 490 left selling 19 thousand kilograms potatoes forced farmer sent dd pm modi Published on: 03 January 2019, 03:03 PM IST

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