चिकन खाने के शौकीनों के लिए एक बुरी खबर है. दरअसल, महंगाई की छांव मुर्गे पर भी पड़े है. इन दिनों देश के ज्यादातर राज्यों में पारा तेजी से चढ़ रहा है जिसका असर पोल्ट्री उद्योग पर भी पड़ रहा है. गर्मी की वजह से मुर्गा-मुर्गियों की वजन में गिरावट दर्ज की जा रही है. साथ ही मृत्यु दर में भी वृद्धि देखि जा रही है जिस वजह से पूरे दक्षिण भारत में चिकन की कीमतें बढ़ गई हैं. बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण भारत में कीमतें, जो फरवरी और मार्च में ₹200-250 प्रति किलोग्राम के आसपास थीं, अब सभी दक्षिणी राज्यों में ₹300 के स्तर को पार कर गई हैं.
पोल्ट्री उद्योग, जिसने पोल्ट्री बिक्री के लिए सबसे अच्छा सीजन माने जाने वाले नवंबर-दिसंबर सीजन में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, वर्तमान में इसका लाभ उठा रहा है. इस सप्ताह उगादी (तेलुगु नव वर्ष) और रमज़ान त्यौहार ख़त्म होने के साथ, उद्योग विश्लेषकों को उम्मीद है कि कीमतें थोड़ी कम होंगी. वही, देश के कई राज्यों में पोल्ट्री फार्मर के द्वार से व्यापारी ₹120-135 प्रति किलोग्राम के आसपास जिंदा/खड़ा मुर्गों की खरीदारी कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें: 'MFOI, VVIF Kisan Bharat Yatra' ने मध्य प्रदेश सीहोर जिले के किसानों का छुआ दिल
गर्मी में बढ़ जाती है मुर्गा-मुर्गियों की मृत्यु दर
रिपोर्ट्स के मुताबिक, गर्मियों के मौसम में मुर्गा-मुर्गियों की मृत्यु दर जो सर्दियों के मौसम में 3-4 प्रतिशत होता है वह बढ़कर 20 प्रतिशत हो जाती है. तनाव के कारण, पक्षी भोजन की तुलना में अधिक पानी लेते हैं, जिससे आदर्श वजन तक पहुंचने में देरी होती है.
मौसम की वजह से मुर्गा-मुर्गियों की वजन में कमी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अत्यधिक गर्मी होने के कारण पक्षी ज्यादा मील नहीं खा रहे हैं. इसके अलावा, मुर्गियां पालने वाले किसानों को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है. नतीजतन, जिन पक्षियों का वजन 40 दिनों के बाद 2 किलोग्राम होना चाहिए, उनका वजन 1.6-1.7 किलोग्राम से कम हो रहा है. वही, पक्षियों का वजन कम होने पर खुदरा विक्रेता भरपाई भी नहीं कर रहे हैं. तमिलनाडु में फिलहाल जीवित पक्षियों की कीमत ₹125 प्रति किलोग्राम है, लेकिन उत्पादन लागत भी ₹95 से बढ़कर ₹110 हो गई है.
Share your comments